एमपी के मुंह जिला मुख्यालय कटनी में घर से करीब 8 किलोमीटर दूर ग्राम गाताखेड़ा निवासी यशपाल खन्ना ने पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग के तहत संचालित राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजनान्तर्गत कड़कनाथ मुर्गा और बैकयार्ड कुक्कुट पालन कर चार व्यक्तियों को हर माह रोजगार दे रही है। वही इस साल 10 से 12 लाख रुपए की सालाना आमदनी होने कीप्रति आशान्वित है। श्री खन्ना को इसके पहले वर्ष 2022 में करीब साढ़े चार से 5 लाख और वर्ष 2023 -24 में करीब 6 लाख रुपए की कमाई हुई थी जो साल दर साल साल बढ़ती जा रही है ।
50 फीसदी अनुदान राशि 18 लख रुपए के अनुदान राशि शामिल थी
इस प्रकार कभी चाय बेचकर मुश्किल से परिवार चलाने वाले यशपाल खन्ना आज कड़कनाथ और बैकयार्ड कुक्कुट पालन कर समृद्धि की इबारत लिख कर , दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत और मिसाल बन गये हैं। उप संचालक पशुपालन विकास डॉक्टर आरके सिंह ने बताया कि श्री खन्ना को राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत कड़कनाथ और बेकयार्ड कुक्कुट पालन में 36 लाख रुपए का प्रोजेक्ट स्वीकार किया गया था जिसमे 50 फीसदी अनुदान राशि 18 लख रुपए के अनुदान राशि शामिल थी।
बैकयार्ड रंगीन कुक्कुट 500 से 600 रुपए प्रति नग बड़ी आसानी से बिक जाते हैं
प्रोजेक्ट स्वीकार होने होने के बाद खन्ना द्वारा कड़कनाथ और बैकयार्ड कुक्कुट पालन हेतु सेट बनवाने बोरिंग आदि करने के बाद 9 लाख रुपए दिए जाएंगे। वही पूरा प्रोजेक्ट होने के बाद 9 लाख रुपए की और अनुदान राशि योजना की प्रावधान के तहत प्रदान किया जाएगा। वर्तमान में श्री खन्ना के पास कड़कनाथ और और बैकयार्ड रंगीन कुक्कुट को मिलाकर करीब 2100 मुर्गियां है।कड़कनाथ मुर्गा 800 से 1 हजार रुपए प्रति नग और बैकयार्ड रंगीन कुक्कुट 500 से 600 रुपए प्रति नग बड़ी आसानी से बिक जाते हैं। श्री खन्ना द्वारा चूजों की बिक्री भी की जाती है। श्री खन्ना द्वारा चूचू की बिक्री भी की जाती है बताते हैं कि कड़कनाथ को 28 दिनों का एक चूजा 110 रूपए में और रंगीन बैकयार्ड कुक्कुट का एक चूजा 60 रुपए में बिक जाता है।कड़कनाथ मुर्गी खासियत है कि अन्यमुर्गो की तुलना में काम बीमार पड़ते हैं जिससे आपको मुर्गी पालन में कम लागत आती है। इसके अलावा कड़कनाथ मुर्गी का मांस भी स्वादिष्ट होता है इसमें कई पोषक तत्व होते हैं इसे इसकी मांग बहुत ज्यादाहै।