जब भी उत्तर भारत के करने के बाद आती है तो पंजाब का जिक्र भी किया जाता है। अपने-अपने पर्यटन और खान-पान के लिए जाना जाता है। आज इस कड़ी बात करने जा रहे हैं पंजाब के सबसे बड़े शहर लुधियाना की। यह सतुलज नदी किनारे पर स्थित है और भारत में सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र लुधियाना की है।लुधियाना शहर को देश का टेक्सटाइल हब कहा जाता है।
अपने आकर्षक तत्वों की वजह से लुधियाना को पर्यटन को द्वारा काफी अधिक पसंद किया जाता है। लुधियाना पर्यटन के साथ ही खान-पान का भी भरपूर मजा देता है। अगर आप भी लुधियाना जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं लुधियाना की प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में जिनके दीदार आपका सफर में चार चांद लगा सकता है।
नेहरू तारामंडल
लुधियाना के नेहरू रोजगार में स्थित नेहरू तारामंडल अपने अनेक खासियतों के लिए मशहूर है। यहां आप सौरमंडल की अद्भुत दृश्य को दीदार कर सकते हैं। वहीं आकाशगंगा ,चंद्रमा ,तारे और खगोलीय पिंडों को भी देखना आपके लिए अमेजिंग एक्सपीरियंस साबित हो सकते हैं। नेहरू तारामंडल में कुल 80 सीट जिसकी आप एडवांस बुकिंग भी करवा सकते हैं।
लोधी किला
पंजाब में लुधियाना के पास के आसपास के किलो में से एक स्थानीय रूप से पुराना किला के रूप में जाना जाने वाली है । यह भव्य संरचना अब खंडहर में बदल चुकी है। लेकिन फिर भी अपने सदियों पुरानी सुंदरता से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध बहुत कर देती है। खंडहर में तब्दील होने के बावजूद ये स्थान अभी मुगल काल की सबसे वास्तुकला को दर्शाता है जिसे लुधियाना के दर्शन स्थलों में से एक बना दिया है।
फिल्लौर का किला
शेरशाह सूरी ने फिल्लौरी में एक सेरै का निर्माण किया जिसे एक सैन्य किले और शाहजहाँ द्वारा पोस्ट ऑफिस में परिवर्तित किया गया था और बाद में अंग्रजो ने अन्य शिविर के एक भाग के रूप में उपयोगी किया। शानदार फिल्लौर किले में अलग यूरोपीय वास्तुकला है जिसे महाराज के इतालवी और फ्रांसीसी जनरल द्वारा डिजायन किया गया। इसमें एक व्यापक खाई है और इसके बाहरी दीवारों का उपयोग रक्षा हमले के लिए किया गया। 200 साल पुराने किले को पुलिस प्रशिक्षण केंद्र और फिंगरप्रिंट ब्यूरो के रूप में संचालित किया जा रहा है।
गुरुद्वारा चरनकवल साहिब माछीवाड़ा
गुरुद्वारा चरनकवल साहिब पंजाब राज्य के लुधियाना में स्थित एक सुंदर वास्तुकाला वाला लुधियाना-चंडीगढ़ हाईवे से जुड़ा हुआ एक गुरुद्वारा है। यहां पर दिसंबर माह के दौरान एक वार्षिक मेला का आयोजन किया जाता है। बताया जाता है कि गुरु गोविंद सिंह के द्वारा औरंगजेब की सेना का विरोध किया जाने पर उनके द्वारा हमला करने पर माछीवाड़ा के जंगल में भाग गए और वह यहीं पर एक पेड़ के नीचे आराम किया था। इस गुरुद्वारा को विजिट करने पर्यटक भी जाया करते हैं।