वो कहते हैं कि सपने संसाधनों से नहीं इरादों से पूरे होते हैं। आप इस कहानी को पढ़कर सोचने को मजबूर हो सकते हैं कि जिसके यहां चूल्हा जलाने तक के लिए पैसे की व्यवस्था ना हो, वो भला आईएएस बनने का सपना कैसे देख सकता है। ये कहानी बुलंदशहर के नरसेना थाना क्षेत्र के रघुनाथपुर गांव के रहने वाले मुकेश के बेटे पवन की है। मुकेश पेशे से मजदूर हैं।
गरीब परिवार से रखता है ताल्लुक
मुकेश के बेटे पवन ने आईएएस बन कर अपने गांव का ही नहीं, बल्कि पूरे जनपद बुलंदशहर का नाम रोशन कर दिया है। पवन बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है। पवन के पिताजी मुकेश ने मजदूरी कर अपने बेटे को बड़ी मुश्किल से पढ़ाया है। पवन की तीन बहनें हैं और वह अकेला भाई है।
मजदूरी कर के लिया फ़ोन
पवन के पिताजी के पास मात्र चार बीघा जमीन है, लेकिन फिर भी पवन के पिताजी मुकेश ने मजदूरी कर अपने बेटे को पहले प्राथमिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से दिलाई। पढ़ाई करने के लिए जब पवन को मोबाइल की जरूरत पड़ी तो उनके पिताजी और बहनों ने मेहनत मजदूरी कर 3200 रुपए का एक एंड्रॉयड पुराना मोबाइल फोन दिलाया, जिससे वह पढ़ाई करता था।
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गैस सिलेंडर भरवाने के नहीं हैं पैसे
पवन के घर पर छत नहीं है और वह एक छप्पर के नीचे पढ़कर यहां तक पहुंचा है। पवन के पिताजी का कहना है कि उनके पास प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन तो है. लेकिन, गैस के सिलेंडर भरवाने के लिए पैसे नहीं हैं।