कपास की खेती को इस कीट से बचाने के लिए टोकन से हो रहे है अलग किस्म के बीज वितरण ,यहां जाने पूरी डिटेल

Saroj Kanwar
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देश के कई राज्यों में कपास की खेती की जाती है इसमें राजस्थान ,मध्य प्रदेश ,पंजाब ,उत्तर प्रदेश ,गुजरात ,महाराष्ट्र ,आंध्र प्रदेश और कर्नाटक शामिल है। इस समय अधिकांश किसान कपास की बुवाई कर रहे हैं क्योंकि वैज्ञानिकों ने इस बार गुलाबी सुंडी की प्रकोप से बचने के लिए किसानों को मई के महीने में ही कपास की बुवाई करने की सलाह दी है।

ऐसे में अधिकांश किसान कपास की बुवाई में रुचि दिखा रहे हैं

ऐसे में अधिकांश किसान कपास की बुवाई में रुचि दिखा रहे हैं। इससे कपास के बीज की मांग बढ़ गई है। इसमें कपास के नई किस्म की मांग हो रही है। ऐसे में कपास के बीज लेने के लिए किसानों की लाइन दुकानों के बाहर लग रही है किसानों को कपास का बीज उन्नत बीज लेने के लिए कई घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है । किसानो की परेशानी को ध्यान में रखते प्रशासन की ओर से किसानों को टोकन सिस्टम से कपास के किस्म की उन्नत भी उपलब्ध कराये जायेंगे।

इस संबंध में हाल ही में खरगोन जिले के कपास के बीच की विशेष किस्म की मांग को देखते हुए कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने कृषि आधार विक्रेता संघ के अध्यक्ष एवं अन्य कृषि आदान विक्रेता के साथ बैठक की ओर इस संबंध में व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए है। उन्होंने सभी थोक एवं फुटकर बीज विक्रेताओं को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कपास बीज के वितरण में किसी भी प्रकार की अनियमितता या कालाबाजारी होती है तो उनके विरुद्ध तुरंत प्रभाव एफआईआर दर्ज करते हुए दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।

संबंधित क्षेत्र में टोकन के जारी और किस की पार्टी पर दर्ज करते हुए वितरण किया जाएगा

बैठक में तय किया गया है कि जिले की सभी किसानों को कपास की किस्म में विशेष के बीजों का वितरण टोकन से माध्यम से ही किया जाएगा। वर्तमान में राशि सीड्स (659) और निजुवीडू सीड्स (आशा-1 कपास के बीज की विशेष मांग अगले 4 से 5 दिनों में की इसमें विशेष के कपास के बीज लेकिन 19 थोक विक्रेताओं को प्राप्त मात्रा के अनुसार संबंधित क्षेत्र में टोकन के जारी और किस की पार्टी पर दर्ज करते हुए वितरण किया जाएगा।

जिले में प्राप्त किस्म में विशेष की मात्रा के अनुसार टोकन का वितरण किया जाएगा

साथ ही जिले में प्राप्त किस्म में विशेष की मात्रा के अनुसार टोकन का वितरण किया जाएगा बैठक में निर्देशित किया गया है कि कपास के बीच के थोक में उठकर फुटकर विक्रेता की प्रतिदिन यह स्टॉक की जांच की जाएगी यदि किसी बीच विक्रेता द्वारा किसी भी प्रकार की अनियमित की जाती है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। कोई भी बीज विक्रेता बिना टोकन के बीज का विक्रय नहीं करेगा। प्रशासन की ओर से किसानों से अपील की गई है कि जिले मैं कंपनियों की अच्छा उत्पादन देने वाली कपास की किस्म के बीच पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध किसान पंजीकृत निजी विक्रेता से निर्धारित दर पर कपास के उन्नत किस्म के बीज खरीद बुवाई कर सकते हैं।

कपास की खेती को इस कीट से बचाने के लिए टोकन से हो रहे है अलग किस्म के बीज वितरण ,यहां जाने पूरी डिटेल

कपास की खेती के लिए गुलाबी सूंडी किट का प्रकोप काफी खतरनाक माना जाता है। इस किट के आक्रमण से कपास की फसल में बहुत अधिक नुकसान होता है कभी-कभी तो इस किट की प्रकोप से किसानों को पूरी-पूरी फसल नष्ट हो जाती है यह प्रौढ़ अवस्था में आकार छोटा औरगहरे भूरे रंग का होता है। उनके अगले पंखों पर काले धब्बे होते हैं और पिछले पंख किनारो से झालर नुमा होते हैं । यह कीट रात के समय सक्रिय होता है। नमी के वातावरण में यह किट ज्यादा सक्रिय होता है और फसल की अंतिम अवस्था तक बना रहता है और फसल को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में इस कीट से फसल को बहुत नुकसान होता है समय पर रोकथाम नहीं की जाए इससे पूरी फसल बर्बाद हो जाती है .

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