इस बार जगन्नाथ यात्रा पर परम्परा से हटकर होगा 53 साल बाद ये काम ,यहां जाने इसकी मान्यता के बारे में

Saroj Kanwar
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उड़ीसा में पुरी जगन्नाथ धाम में महाप्रभु जगन्नाथ आज अपने मौसी के घर रवाना होंगे। भगवान यात्रा का शुभारंभ हो रहा है इसको लेकर विधि विधान चल रहा है। आज 14 दिनों बाद महाप्रभु जगन्नाथ भक्तों के दर्शन देंगे। अभी पहण्डी की विधि चल रही है। इसके बाद तीनो रथो को आस्था की मजबूत रस्सी से खींचा जाएगा। इसके लिए देश विदेश से लाखों लोग पूरी में जुटे हुए हैं।

53 वर्षों बाद यह तो यात्रा दो दिवसीय होगी

इस साल होने वाली महाप्रभु जगन्नाथ की यात्रा इस साल इसलिए भी खास है क्योंकि 53 वर्षों बाद यह तो यात्रा दो दिवसीय होगी। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू भी रविवार को लाखों श्रद्धालुओ के साथ यात्रा देखने वाली है। राज्य सरकार ने उनकी यात्रा के लिए विषय व्यवस्था की है । रथ यात्रा के बारे में पंडित ने बताया कि अभी पूरी विधि विधान से भगवान की पूजा हो रही है पूजा पूरी होने के बाद यहां के महाराजा जाएंगे और वहां सोने की झाड़ू से सफाई करेंगे इसके बाद यात्रा शुरू होगी।

सांयकाल होने पर सरकार होने पर जगन्नाथ भगवान का रथ रोक दिया जाता है

ऐसी भी प्रथा है कि सांयकाल होने पर सरकार होने पर जगन्नाथ भगवान का रथ रोक दिया जाता है। फिर अगले दिन फिर से यात्रा शुरू होती है। ग्रह नक्षत्रो की गणना के अनुसार ,इस साल दो दिवसीय यात्रा आयोजित की गई है जबकि आखिरी बार 1971 में दो दिवसीय यात्रा का आयोजन किया गया था यानी 53 साल यह में ये अवसर आया है। परंपरा से हटकर तीन भाई-बहन देवी-देवताओं – भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र संबंधित त्यौहार से संबंधित कुछ अनुष्ठान में रविवार को एक ही दिन में आयोजित किया जा रहे हैं।

रथो को जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार के सामने खड़ा किया गया जहां से उन्हें गुंडिचा मंदिर ले जाया जायेगा। वहां रथ एक सप्ताह तक रहेंगे।पूरी में उपस्थित भक्त लाखों भक्त आज रथो को खींचेंगे।

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