ये मंदिर है उदयपुर के सबसे फेमस मंदिर जो देते है उसको अलग ही पहचान ,केवल दर्शन krne

Saroj Kanwar
5 Min Read

राजस्थान के पर्यटन स्थलों की बात आती है तो ऐसे कई शहरो के नाम सामने आते है जिन्हें देश भर में पहचाना जाता है। inhi शहर में से एक उदयपुर जिसे अपने जिलों झीलों ,महलो और shaahi रहन सहन के लिए जाना जाता है। उदयपुर शहर अपने सांस्कृतिक पहचान के लिए राजस्थान में गलत पहचान रखते उदयपुर घूमने जाने वाले लोग यहां की प्राकृतिक सौंदर्य सुंदरता का आनंद लेते हैं। लेकिन इसी के साथ यहां पर कई मंदिर भी है जो उदयपुर की धार्मिक पहचान बनाते हैं। आज हम आपके यहां जिन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं उनके दर्शन मात्र शांति और सुकून की प्राप्ति होती है। यहां जानते हैं मंदिरों के बारे में ।

श्री जगदीश मंदिर

उदयपुर में सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक जगदीश मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित देती है । yh teen mnjila मंदिर 1651 में महाराणा जगत सिंह द्वारा बनवाया गया था। इंडो आर्यन स्थापत्य नेशनल आर्यन स्थापत्य शैली में डिजाइन की गई। इस मंदिर में पिरामिड शिखर ,मंडप और बरामदा इस मंदिर का लगभग 79 फीट लंबा और उसे आप दूर से आसानी से भी देख सकते हैं। मुख्य मंदिर में काले पत्थर में भगवान विष्णु की चारभुजा वाली मूर्ति है और इसके चारों ओर चार छोटे मंदिर भी मौजूद है। इस मंदिर के निर्माण में स्वप्न संस्कृति का बड़ा महत्वपूर्ण योग है। इसलिए सपनो से बना मंदिर भी कहते हैं। यह मंदिर पंचायत शैली से निर्मित है।

बोहरा गणेश मंदिर

यह मंदिर उदयपुर के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है बोहरा गणेश मंदिर। ये मंदिर उदयपुर के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है जो की पर 350 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। यह गणपति नगर में मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के पास स्थित है । यहां पर खड़े गणेश जी की पूजा की जाती है। कहते हैं 80 वर्षो पूर्व आसपास के गांव के कुछ लोगों ने इस मंदिर के दर्शन किए थे और अपनी समस्या गणेश जी को बताई उसके बाद उनकी सभी समस्याएं दूर हो गई। तब से यह मंदिर उदयपुर में अपनी एक अलग पहचान रखता है।

एकलिंग जी का मंदिर

यह मंदिर कैलाशपुरी में स्थित है इस मंदिर का निर्माण बप्पा रावल ने आठवीं सदी में करवाया था। इस मंदिर के पर कोट का निर्माण राणा मोकल ने करवाया था। एकलिंग जी को मेवाड़ के राजाओं का कुल देवता माना जाता था। मेवाड़ के महाराणा स्वयं को एकलिंग जी का दीवान मानते हैं। मंदिर के वर्तमान स्वरूप महाराणा रायमल ने मंदिर प्रदान किया। यह उदयपुर राजाओ के कुल देवता का मंदिर कहलाता है। मंदिर के चारों ओर विशाल पर कोटा है ये शिवरात्रि पर विशाल मेला लगता है। यह मंदिर राज्य में पशुपत संप्रदाय की प्रमुख स्थलों में से एक है।

महालक्ष्मी मंदिर

महालक्ष्मी मंदिर धन और समृद्धि की देवी को समर्पित है। देवी को श्रीमाली समाज की पारिवारिक देवी माना जाता है और मंदिर को मैनेज श्रीमाली संपत्ति ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। हालांकि मंदिर में रोजाना कहीं भक्त आते हैं लेकिन दिवाली के त्यौहार के दौरान यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है। श्राद्ध पक्ष के आठवें दिन देवी की जन्मदिन पर भी लंबी कतारें देखी जा सकती है। क्योंकि यह दिन यह बहुत सारे के साथ मनाया जाता है।

अम्बा माता मंदिर

यह उदयपुर में फतेह सागर झील के किनारे स्थित माता अम्बा का प्रसिद्ध मंदिर है। इसके पीछे एक रोचक कथा जुड़ी हुई है। कहते हैं कि 17वी सदी में महाराजा राज सिंह को आँख की एक भयानक बीमारी थी जिसके लिए वे गुजरात में स्थित प्रसिद्ध अम्बिका माता के मंदिर जाने वाले थे लेकिन उससे पहले ही माँ अम्बा ने उनके सपने में आकर उदयपुर में ही एक जगह बताई। अगले दिन राजा ने वहां की खुदाई करवाई जिसमे से माँ अम्बा की मूर्ति निकली। उसके बाद महाराजा ने वहां अम्बा माता का विशाल मंदिर बनवाया और उनकी आँख की समस्या भी पूरी तरह से ठीक हो गई।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *