उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित बहुत खूबसूरत हिल स्टेशन मुक्तेश्वर सैलानियों का स्वर्ग है। नैनीताल से 51 km, हल्द्वानी से 72 km और दिल्ली से 343 km दूर है। ऊंचाई पर प्रकृति की गोद में बसा हुआ मुक्तेश्वर पर्यटक को अपनी और बरबस ही खींच लेता है। देश के कोने-कोने से सैलानी मुक्तेश्वर में डेरा डाले हुए है और यहां के नैसृगिक खूबसूरती गलत प्राप्त है। यहां का शांत वातावरण , ठंडी हवाएं ,घाटियां ,पहाड़ ,जंगल, नदियां झरने और हिमालय की खूबसूरत यूट्यूब रिश्तों को के मन को भाग जाते हैं।
मुक्तेश्वर का नाम शिव के 5500 साल पुराने मंदिर से मिलता है जिसे मुक्तेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है। मंदिर में एक अध्भुतपरिदृश्य और इतिहास के बारे में बेहतरीन कहानी है। कहते हैं कि मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने निर्वासित जीवन के 12 वर्षों के दौरान किया था। मंदिर के आसपास आपको देवदार का घना जंगल मिलेगा। इसी में से एक सुंदर ट्रैक आपको चोली की जाली लेकर जाता है। मुक्तेश्वर का मुख्य आकर्षण प्रकृति का आनंद लेने में है देवदार के जंगलों, बर्ड वॉचिंग, मेडिटेशन के माध्यम से हवा को निहारना और शांति की तलाश करना, यही मुक्तेश्वर की पहचान है। स्वच्छता एकांत और एकांत और प्रकृति, शहरी जीवन से बचने वाले लोगों को आकर्षित करती है।
मुक्तेश्वर से आप हिमालय की लंबी पर्वत श्रृंखला को देख सकते हैं घने देवदार की जंगलों में सुस्ता सकते हैं और वहां बैठकर प्रकृति की खूबसूरती से निहार सकते हैं । मुक्तेश्वर में सैलानी ट्रैकिंग ,रॉक क्लाइंबिंग ,कैंपिंग और पैरा ग्लाइडिंग का आनंद ले सकते हैं। यहां सेनानी घने जंगलों घाटियों में लंबे नेचर वॉक पर जा सकते हैं। प्रकृति को करीब से निहारने के साथ ही मुक्तेश्वर में एडवेंचर्स एक्टिविटी के लिए बहुत कुछ है। मुक्तेश्वर के आसपास घूमने की जगह।
सीतला
सीतला अपने औपनिवेशक शैली के बंगलो के लिए प्रसिद्ध है। सीतला में हिमालय कीचोटियों-पंचाचूली, त्रिशूल और नंदा देवी के खूबसूरत दृश्य हैं यह घने जंगलों और बगीचों के बीच भरा हुआ है। यहपर्यटकों के लिए एक अद्भुत दर्शनीय स्थल है। पर्यटक अपनी रूचि के अनुसार ट्रैकिंग और बर्ड वाचिंग का भी आनंद ले सकते हैं। रेलवे स्टेशन काठगोदाम से लगभग 2 घंटे की दूरी पर सीतला स्थित है।
भालू झरना
भालू झरना मुक्तेश्वर का एक नया खोजा गया पर्यटन स्थल है। मुक्तेश्वर में घूमने के लिए एक नई जगह होने के कारण पर्यटक कम आते है और इसलिए राज्य के चारों और अन्य झरनो की तुलना में ये झरना साफ है और अंत में डूबते हुए घोड़े की नाल का मिश्रित आकार लेता है। झरने के बारे में कहा जाता है कि यह पूरे साल पानी कापरवाह रहता है। इसलिए इसे किसी भी वह समय देखा जा सकता है। ये यह स्थान एक सुंदर दृश्य है और पक्षी प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग भी है। झरने के निचले भाग में इंद्रधनुष उभरता है इसलिए स्थानीय लोगों ने से इंद्रधनुष का नाम दिया है झरना मुक्तेश्वर मंदिर से 10 किलोमीटर की दूरी पर है।