कुछ लोगों की आदत होती है वही चीजों का इस्तेमाल करने की बजाय संभाल कर रखते हैं। इस मामले वे इतने कंजूस होते हैं। इन चीजों से पास अवसर पर इन चीजों का सिर्फ खास अवसर पर निकालना सही समझते है। लेकिन चीजों का सही समय पर इस्तेमाल न किया जाए तो किसी काम की नहीं रहते । चलिए आपको इस बात की कहानी से समझाते हैं।
पहले उसने सोचा ही इसे चांदी के बर्तन में खाना खिला दे
एक समय की बात है एक गांव का एक बुड्ढा शख्स रहता है उसकी दो बेटे थे वह वस्तुओ के इस्तेमाल को लेकर बहुत कंजूस था। उन्हें बचा बचा कर रखता है। बचाकर संदूक में संभाल कर रखता है उसे सोच रखा था कि इसका इस्तेमाल किसी खास अवसर पर ही करूंगा। एक दिन बुड्ढे के घर संत आये के उसने उन्हें भोजन परोसा। एक पल के लिए उसके मन में विचार आया की गांव-गांव भटकने वाले इस संत के लिए चांदी का बर्तन क्यों खराब करना? जब कोई राजसी शख्स मेरे घर आएगा उसे चांदी में बर्तन में खिलाऊंगा। कुछ दिनों बाद उसके घर राजा का मंत्री है पहले उसने सोचा ही इसे चांदी के बर्तन में खाना खिला दे। तब उन्हें इस कीमती बर्तन में भोजन दूंगा फिर एक दिन राजा भी उसके घर आ गया। इस पड़ोसी राज्य ने उनके राज्य की कोशिश से पर कब्जा कर लिया और बूढ़ा सोचने लगा कि हारा हुआ राजा है हार से राजा गौरव कम हो गया। मेरे चांदी के बर्तन में सिर्फ किसी गौरवशाली व्यक्ति को ही भोजन करवाऊंगा। यह सोच उसने उस दिन में चांदी का बर्तन नहीं निकाला फिर कुछ दिनों बाद बूढ़े की मौत हो गई।
जब उसकी बेटे ने कई दिनों बाद संदूक खोला तो चांदी का बर्तन उसमे पड़ा पड़ा काला पड़ गया। उसने बीवी से पूछा क्या करना है। इस पर बीवी मुंह बनाकर बोली कि यह तो बहुत बेकार है। कुत्ते को इसमें खाना दे देंगे। इसके बाद सिर्फ चांदी के बर्तन में कुत्ते को खाना दिया जाने लगा।
कहानी की सीख
उस बूढ़े शख्स ने जीवनभर में किसी व्यक्ति विशेष के लिए बर्तन संभालकर रखे लेकिन आखिर में कुत्ते ने इस भोजन किया। इस कहानी से यही सीख मिलती किसी वस्तु का मूल्य तभी तक रहता है जब तक उसका सही समय इस्तेमाल हो जाए ।बिना उपयोग बेकार पड़ी वस्तुओं की कोई कीमत नहीं होती है।