Somnath-jyotirlinga – इस ज्योतिर्लिंग के अंदर है ‘चमत्कारी मणि’, जाने इस मंदिर के अनोखे रहस्य

वैसे तो हमारे देश में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में 12 ज्योतिर्लिगों का महत्व सबसे ज्यादा है। इन 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला है सोमनाथ। ये गुजरात के प्रभाव पाटन में स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर जानिए सोमनाथ मंदिर से जुड़ी कथाएं और रोचक बातें।

Swati tanwar
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वैसे तो हमारे देश में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में 12 ज्योतिर्लिगों का महत्व सबसे ज्यादा है। इन 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला है सोमनाथ। ये गुजरात के प्रभाव पाटन में स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर जानिए सोमनाथ मंदिर से जुड़ी कथाएं और रोचक बातें।

इस ज्योतिर्लिंग में है चमत्कारी मणि

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के अंदर एक चमत्कारी मणि है, जिसका नाम स्यमंतक है। इसे पारस पत्थर भी कहते हैं। इस मणि का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। ये मणि भगवान श्रीकृष्ण के पास थी। देह त्यागने से पहले उन्होंने ये मणि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को समर्पित कर दी थी। तब से आज तक ये मणि इसी ज्योतिर्लिंग में स्थित है।

कईं बार तोड़ा गया ये मंदिर

इस मंदिर को 17 बार नष्ट किया गया और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया। सबसे पहले आठवीं सदी में सिंध के अरबी गवर्नर जुनायद ने इस मंदिर को नष्ट करवाया। इसके बाद 1025 में महमूद गजनवी यहां आया और उसने न सिर्फ मंदिर नष्ट किया। इसके बाद मुगल बादशाह औरंगजेब ने भी इस मंदिर को ध्वस्त किया। वर्तमान में जो मंदिर यहां खड़ा है उसे भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया था और 1 दिसम्बर 1955 को भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।

कैसे पहुंचें?

  • सोमनाथ से 63 कि.मी. दूर दीव एयरपोर्ट है। यहां तक हवाई मार्ग से पहुंच सकते हैं।
  • सोमनाथ सड़क मार्ग से सभी बड़े शहरों से जुड़ा है। निजी गाड़ियों से भी सड़क मार्ग से सोमनाथ आसानी से पहुंचा जा सकता है।
  • सोमनाथ के लिए देश के लगभग सभी बड़े शहरों से ट्रेन मिल जाती हैं।
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