म्यांमार का बागान शहर बौद्ध मंदिरों और मठों के लिए काफी खास है। यहां मौजूद प्राचीन अवशेषों को देखने दुनियाभर से लोग आते हैं। म्यांमार के मांडले क्षेत्र में यह प्राचीन शहर और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में से एक माना जाता है।
2 हजार से ज्यादा मंदिरों के अवशेष
9वीं से 13वीं शताब्दी तक यह शहर बुतपरस्त साम्राज्य की राजधानी था। 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच राज्य में कला-संस्कृति के विकास का दौर चरम पर था। बागान के मैदानों में 10 हजार से अधिक बौद्ध मंदिर, पैगोडा और मठों का निर्माण किया गया था, जिनमें से अब करीब 2200 मंदिरों और पैगोडा के अवशेष ही बचे हैं।
विश्वव्यापी केंद्र बनाने का सफर
बागान के शासकों ने बागान के मैदानों में 1044 से 1287 के बीच 40 वर्ग मील के क्षेत्र में निर्माण कार्य भी करवाए। इनमें लगभग 1 हजार स्तूप, 10 हजार मंदिरों और 3 हजार मठ बनाए गए। धार्मिक अध्ययन के लिए यह जगह विश्वव्यापी केंद्र बन गई।
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रोजगार के अवसर भी बढ़े
बागान में हो रहे निर्माण के चलते उस वक्त आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कई अवसर पैदा हुए। मंदिरों के निर्माण के लिए ईंट बनाना, चिनाई करना, बढ़ईगीरी, सोने-चांदी या कांसे का काम या फिर लकड़ी पर नक्काशी और चीनी मिट्टी से सामान बनाने वाले कारीगरों को काम मिला।