ITR भरने में हो गया है गलती तो यहां जाने इसके क्या है नए नियम जो वित्त मंत्री ने किये जारी

Saroj Kanwar
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क्या आपने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में कोई गलती की है अब आप इसे फिर से फाइल कर सकते हैं। अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न जिसे ITR-U नाम से भी जाना जाता है पहले से जाकरITR में की गई गलतियों को सुधारने का एक तरीका यह है। यह अनिवार्य रूप से आपको किसी खास से 7 ईयर के लिए अपना रिटर्न फिर से भरने की अनुमति देता है। इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 139 में सबसेक्शन 8Aमें है जो अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की अनुमति देता है। 2022 में केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया कि टैक्सपेयर संबंधित एसेसमेंट ईयर के अंत में 2 साल के भीतर अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकते हैं जो atirikt के भुगतान के दिन है।

अपडेटेड टेक्स रिटर्न प्रावधान

इस प्रावधान की शुरुआत केंद्रीय विधवा कॉरपोरेट मामलों के मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2022 के लिए केंद्रीय बजट में पेश करने के दौरान किया। अभी तक मंत्री सीतारमण ने कहा कि यह प्रावधान टैक्स पेयर्स को टैक्स उद्देश्यों के लिए अपनी आय का सही असेसमेंट करने में किसी भी गलती को सुधारने की अनुमति देगा। उन्होंने आगे बताया कि ऐसे मामलों में जाए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्सपेयर द्वारा जो गलती हुई है को पहचान करता है। इसे आमतौर पर एक लंबी नहीं आए निर्णय प्रक्रिया शामिल होती है। प्रस्ताव का उद्देश्य टैक्सपेयर में विश्वास पैदा करना होता है। उन्होंने कहा था कि यह सूची टैक्स अनुपालन की दिशा में पॉजिटिव कदम है।

इनकम टैक्स इंडिया द्वारा अपनी वेबसाइट की डिटेल के मुताबिक ,यह खंड निर्धारित करता है कि कोई भी व्यक्ति अपडेट रिटर्न जमा कर सकते हैं। पहले उन्होंने लगभग एसेसमेंट ईयर के लिए पहले मूल, बिलेटेड या रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल किया हो। संबंधित एसेसमेंट ईयर की समापन से 24 महीने के भीतर अपडेटेड रिटर्न दाखिल किया जा सकता है। फिर कुछ ऐसी परिस्थितियों हैं जिनके तहत अपडेट रिटर्न जमा की नहीं किया जा सकता। आप एसेसमेंट ईयर 2021-22 के लिए ITR-U 31 मार्च 2025 तक दाखिल कर सकते हैं। आप एसेसमेंट ईयर 2022-23 के लिए इतर u31 मार्च 2026 तक दाखिल कर सकते हैं।

इस स्थिति में नहीं कर सकते ITR-U

अगर अपडेटेड रिटर्न किसी नुकसान की रिपोर्ट करने वाले रिटर्न से संबंधित है तो उसे जमा नहीं किया जा सकता। इसके अलावा अपडेटेड रिटर्न दाखिल करना स्वीकार्य नहीं है। अगर ऐसा करने से टैक्सपेयर दावा दाखिल , ओरिजिनल संशोधित या बिलेटेड रिटर्न के आधार पर गणना की गई टैक्स देयता कम हो जाती है। इसके अतिरिक्त अपडेटेड रिटर्न दाखिल नहीं किया जा सकता है, अगर इससे टैक्सपेयर द्वारा दाखिल ऑरिजनल संशोधित या बिलेटेड रिटर्न के आधार पर देय रिफंड में वृद्धि होती है।

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