प्रेमानंद जी महाराज जो वृंदावन में स्थित है एक प्रसिद्ध संत जिनके दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारे लगती है। उनके संवाद और उनके साथ संवाद और सत्संग के लिए मिलने की प्रक्रिया को समझना आवश्यक है । इस लेख में हम जानेंगे कि आप प्रेमानंद जी महाराज से कैसे मिल सकते हैं।
प्रेमानंद जी महाराज से मिलने के लिए सबसे पहले आपको वृंदावन जाना होगा। मथुरा रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से आप टैक्सी या बस के माध्यम से आसानी से वृंदावन पहुंच सकते हैं। यदि आप दिल्ली ,आगरा या अन्य नजदीकी शहरों से आ रहे हैं तो वहां से भी बस या अपनी कार का उपयोग कर सकते हैं।
आश्रम का पता
प्रेमानंद जी का आश्रम श्री राधाकेली कुंज के पास स्थित है। यह आश्रम इस्कॉन मंदिर के पास परिक्रमा रोड पर भक्तिवेदनता हॉस्पिटल के ठीक सामने है।
यदि आप रात में प्रेमानंद जी के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको सुबह करीब 2:30 बजे आश्रम पहुंचना होगा। यह समय भक्तों के लिए विशेष होता है और इस दौरान महाराज अपने निवास स्थान से पैदल चलकर आते हैं। प्रेमानंद जी महाराज से मिलने के लिए आपको टोकन लेना होगा यह टोकन हर दिन सुबह 9:30 बजे उनके शिष्यों द्वारा वितरित किए जाते हैं। टोकन प्राप्त करने के बाद अब अगले दिन सुबह 6:30 बजे आश्रम जाकर महाराज से अकेले में बात कर सकते हैं। लेकिन आपको ध्यान रखना होगा कि टोकन कार्ड प्राप्त करने के लिए और दर्शन के लिए आधार कार्ड लाना अनिवार्य है। बिना आधार कार्ड के आपको टोकन नहीं मिलेगा यदि आपको टोकन नहीं मिलता है तो आप सुबह 7:30 बजे भी महाराज को प्रणाम कर दर्शन कर सकते हैं हालांकि यह विकल्प सीमित समय में उपलब्ध होता है।
प्रेमानंद जी महाराज का महत्व
प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम अनिरुद्ध पांडेय है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था, और उन्होंने 13 वर्ष की आयु में घर त्याग दिया था। वे वृंदावन आकर चैतन्य महाप्रभु की लीलाओं का आनंद लेने लगे और धीरे-धीरे संत बन गए। आज वे राधारानी के परम उपासकों में गिने जाते हैं और उनके सत्संग को करोड़ों लोग सुनते हैं।
प्रेमानंद जी महाराज से मिलने की प्रक्रिया सरल है, लेकिन इसके लिए आपको कुछ नियमों का पालन करना होगा। सही समय पर आश्रम पहुंचकर और आवश्यक दस्तावेज लेकर आप इस दिव्य अनुभव का हिस्सा बन सकते हैं।