गर्मियों छुट्टी पर घर बैठकर व्यर्थ करने से अच्छा और कहीं घूमने निकल जाए। अगर आपको कोई आईडिया नहीं मिल पा रहा है की कहाँ जाए तो तो ये आइडिया आपके काम आ सकता है जिसे हम बात कर रहे हैं। वहां गर्मी के दिनों में आपको ठंड का अनुभव होगा। इसका नाम ‘औली’ उत्तराखंड में है। यहां कहीं ऐसे टूरिस्ट पैलेस है जिन्हें देखकर आपके चेहरे खिल उठेंगे।
औली उत्तराखंड का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है
औली उत्तराखंड का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है जो दुनिया भर में स्कीइंग के लिए प्रसिद्ध है। यह प्राकृतिक स्थल समुद्र तल से 2800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सेब के बाग़ , पुराना ओक, देवदार के पेड़ों पर के साथ औली एक लोकप्रिय पहाड़ी शहर है। जहां हिमालय की सिमा के बीच स्थित कई स्की रिसॉर्ट हैं औली ढलानों और और स्वच्छ वातावरण के कारण भारत में एक लोकप्रिय स्कीइंग डेस्टिनेशन भी है। स्कीइंग के अलावा गढ़वाल हिमालय की पहाड़ियों में ट्रैक के लिए जा सकते हैं और बर्फ से ढके पहाड़ों के मंत्रमुग्ध दृश्यों दर्शनों का आनंद ले सकते हैं। औली खास तौर से ओक-धार ढलानों और शंकुधारी जानवरों के लिए जाना जाता है। औली का इतिहास आठवीं शताब्दी का है। कुछ मान्यताओं के अनुसार गुरु आदि शंकराचार्य ने इस पवित्र स्थान का दौरा किया था उन्होंने औली को अपनी यात्रा से आशीर्वाद दिया था । इस स्थान को बुग्याल’ के नाम से भी जाना जाता है जिसका क्षेत्रीय भाषा में अर्थ है ‘मैदानी ‘
चलिए जानते हैं औली के खूबसूरत पैटर्न स्थल के बारे में
नंदा देवी
नंदा देवीभारत के सबसे ऊंची हिल्टन में से एक है चोटी का नाम स्वयं देवी के नाम आशीर्वाद देने के लिए पड़ा है। चोटी को घेरे हुए नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान भी एक ऐसा स्थान है जहां वनस्पति और जीवो और जैव विविधताओं को देख सकते हैं। भारत का सबसे ऊंचा पर्वत नंदा देवी ,साथ 7,817 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
गोर्सन बुग्याल
समुद्र तल से 3056 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गौसन बुग्याल एक सुरम्य स्थान है। जहां से आप हिमालय जैसे नंदा देवी , त्रिशूल और ड्रोन को देख सकते हैं। औली से 3 किलोमीटर ट्रैक आपको इस मनोरम स्थान तक ले जाएगा। आप छत्र कुंड की ओर से भी ट्रैक कर सकते हैं जो सिर्फ एक किलोमीटर दूर है।
त्रिशूल पीक
पश्चिमी कुमाऊं की तीन हिमालय पर्वत चोटियां त्रिशूल शिखर बनाते हैं। इसकी ऊंचाइयां 7120 मीटर है। 1907 मेंत्रिशूल 7000 मीटर की ऊंचाई वाली पहली ऐसी चोटी बन गई थी जहां किसी ने पहली बार चढ़ाई की थी। चोटी को कौसानी से या रूपखंड ट्रैक के दौरान सबसे अच्छे से देखा जा सकता है। त्रिशूल चोटी तक जाने के लिए जीप सफारी उपलब्ध है और लेह तक मिनी बस से यात्रा कर सकते हैं।
जोशीमठ
हिंदुओं के पीछे प्रमुख स्थल , जोशीमठ कई मंदिरों की मेजबानी करता है। इतिहास के अनुसार आदि गुरु शंकराचार्य ने यहां सन्यासियों के लिए चार पिठों में से एक की स्थापना की थी। जोशी मठ की सभी मंदिरों में नरसिंह मंदिर सबसे लोकप्रिय है जोशीमठ बद्रीनाथ मंदिरो जाने वाले तीर्थ यात्रियों का विश्राम स्थल है।
रुद्रप्रयाग
अलकनंदा नदी केपांच प्रयाग में से एक रुद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का मिलन बिंदु है। बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिरों से निकटता की वजह से रुद्रप्रयाग की व्यस्त बिंदु बना हुआ है। इसके पास कई मंदिर स्थित है जैसे रुद्रनाथ मंदिर चोट चामुंडा देवी मंदिर और अन्य जगह की आपको दर्शन जरूर करना चाहिए।