PPF एक लोकप्रिय लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट स्कीम है जिसकी मेच्योरिटी अवधि 15 साल होती है। जब अकाउंट मेच्योर हो जाता है तो खाताधारक अपनी जमा राशि को निकाल सकता है। इसे किसीअन्य अकाउंट में ट्रांसफर कर सकता है या पास 5 -5 साल के लिए दो बार और निवेश जारी रख सकता है।
PPF मैच्योरिटी फंड ट्रांसफर: क्या, क्यों और कैसे?
क्या आप जानते हैं कि खाते में PPF मेच्योरिटी फंड को किसी अन्य ट्रांसफर करने के क्या-क्या टैक्स नियम है। अगर आपने अपने मेच्योरिटी फंड को किसी अन्य व्यक्ति , जैसे अपने बच्चो या जीवन साथी के PPF कहते में ट्रांसफर कर रहे है तो हैं टेक्स संबंधित प्रावधानों को समझना जरूरी है ।
PPF मैच्योरिटी फंड ट्रांसफर करने के नियम
PPF खाते की मेच्योरिटी के बाद खाता धारक के पास तीन मुख्य विकल्प है।
फंड को पूरी तरह से निकलना -PPF की पूरी राशि को अपने सेविंग अकाउंट में ट्रांसफर किया जा सकता है।
5 -5 साल के लिए निवेश जारी रखना – यदि आप चाहे तो अपने PPF अकाउंट को 5 साल के लिए बढ़ा सकते हैं। यह ऑप्शन दो बार तक लिया जा सकता है।
किसी अन्य खाते में फंड ट्रांसफर करना -PPF मैच्योरिटी फंड को दूसरे पर खाते में ट्रांसफर किया जा सकता है लेकिन इसके लिए कुछ शर्ते लागू होती है।
कैसे करें पीपीएफ मेच्योरिटी फंड ट्रांसफर
वीडियो डिफरेंट को ट्रांसफर करने की दो तरीके हैं
ऑनलाइन ट्रांसफर -यदि आपकाPPF खाता बैंक में है तो आप इसे नेट बैंकिंग के मोबाइल बैंकिंग के लिए ट्रांसफर कर सकते हैं।
ऑफलाइन ट्रांसफर- इसके लिए खाताधारक को अपने बैंक या पोस्ट ऑफिस का शाखा में जाकर आवेदन देना होगा।
ऑनलाइन ट्रांसफर – इसके लिए खाताधारक को अपने बैंक या पोस्ट ऑफिस की शाखा में जाकर आवेदन देना होगा।
अगर ऑनलाइन ट्रांसफर किया जाता है, तो किसी तरह की राशि सीमा नहीं होती। खाताधारक अपनी पूरी राशि एक ही बार में ट्रांसफर कर सकता है।
PPF एक टैक्स-फ्री स्कीम है, और इसका पैसा निकालने पर भी कोई टैक्स नहीं लगता। यदि आप अपने PPF मैच्योरिटी फंड को अपने बैंक खाते में ट्रांसफर करते हैं, तो यह पूरी तरह से टैक्स-फ्री रहेगा।
लेकिन अगर आप इस फंड को किसी और व्यक्ति के PPF खाते में ट्रांसफर करते हैं, तो कुछ टैक्स नियम लागू हो सकते हैं:
यदि आप अपने पति/पत्नी या बच्चों के PPF खाते में फंड ट्रांसफर करते हैं, तो यह गिफ्ट टैक्स के तहत टैक्स-फ्री होगा।
हालांकि, यदि ट्रांसफर किए गए फंड पर ब्याज प्राप्त होता है, तो यह आयकर अधिनियम के क्लबिंग प्रावधान के अंतर्गत ट्रांसफर करने वाले व्यक्ति की करयोग्य आय में जोड़ा जा सकता है।