पिता -बेटा बताओ जान कहां से निकलती है ,
बेटा -खिड़की से
वो कैसे ,
बीटा कल दीदी एक लड़के से कह रही थी जान खिड़की से निकल जाओ।
साइंस टीचर -क्लास में सो रहे हो क्या ,
राजू -नहीं टीचर गुरुत्वाकर्षण सर निचे गिर रहा है।

बचपन में जब हम दोस्तों को बुलाने उनके घर जाते थे ,
सबसे पहले उनकी मम्मी या पापा ,
निकलकर ऐसे घुरतेथे जैसे हम तालिबान से ताल्लुक रखते है ,
इतने साल हो गए कुछ नहीं बदला।
बस बदलाव आया है कि सिर्फ इतना कि अब दोस्तों की बीवियां घूरती है।

दो दोस्त दारू पीकर गाड़ी चला रहे थे ,
तभी एक दोस्त चिल्लाया अबे कमीने दीवार है आगे दीवार है ,
तभी गाड़ी दीवार में घुस गयी ,
अगले दिन दोनों हॉस्पिटल में थे ,
पहले दोस्त -कमीने में चिल्ला चिल्ला कर कह रहा था आगे दीवार है ,
तुमने सुना क्यों नहीं।
दूसरा दोस्त -साले बेवड़े गाड़ी तू चला रहा था।

संता: मैं तीरथ यात्रा पर जा रहा हूँ।
सोच रहा हूँ, दारु छोड़ दूँ।
बंता: ये तो बहुत अच्छी बात है। इस में दिक्कत क्या है?
संता: पर किस के पास छोडूं? सारे दोस्त कमीने हैं, साले…पी जायेंगे