भारत में चलने वाली गाड़ियों की स्टीरिंग व्हील दांये तरफ तरफ होती जबकि विदेशो में चलने वाली गाड़ियों में स्टीयरिंग व्हील बाएं तरफ होती है। लेकिन क्या आपने कभी इसका कारण सोचा कि स्टेरिंग व्हील को इस गाड़ी के बीच में क्यों नहीं लगाया जाता। लेकिन आज हम आपको बताने वाले हैं कि फोर व्हीलर या अन्य आने वाली बड़ी गाड़ियों में स्टेरिंग व्हील बाई तरफ ही क्यों दी जाती है। यहां जानते इसके मुख्य कारण।
सीट अरेंजमेंट सही करने के लिए
अगर कारों के बीच स्टेरिंग व्हील बनाया अभी लगाया जाएगा तो ड्राइवर के दाएं और बाएं कोई नहीं बैठ पाएगा। इससे सीट कैपेसिटी भी कम हो जाएगी। इसका मतलब आज की 5 सीटर कारे 4 सीटर बनकर रह जाएगी।बीच में स्टीयरिंग व्हील होने से गाड़ी का कंट्रोल बिगड़ सकता है, खासतौर पर हाई स्पीड या घुमाव के समय।
ड्राइवर की सहूलियत के लिए
कार के दाएं या बाएं तरफ स्टीरिंग व्हील होने से ड्राइवर सीट सामने के दरवाजे के पास रहेगी। इससे ड्राइवर आसानी सेबाहर निकाल और अंदर आ सकते हैं लेकिन अगर स्टेरिंग व्हील बीच में होगा तो ड्राइवर को बाहर निकलना और अंदर बैठने में दिक्कत होगी। ड्राइवर की सीट के सामने स्टीरिंग व्हील होने से सीट बेल्ट सीट बेल्ट और एयरबैग जैसे सेफ्टी इक्विपमेंट को ठीक तरीके से काम करने में मदद मिलती है।
सही विजन और सेफ ड्राइविंग
ड्राइविंग सीट के सामने स्टीयरिंग व्हील होने से ड्राइवर हमेशा सच रहता है और कोई भी दुर्घटना होने से पहले संभल जाता है। गाड़ी का स्टीयरिंग व्हील दांये -बांये होने से सामने से आ रही गाड़ियों की दूरी का अंदाजा सही से लगाया जा सकता है। बीच में स्टीयरिंग में विजिबिलिटी और एंगल में दिक्कत आ सकती है। खासकर जब सड़क के किनारे की वस्तुओं के लोगों को देखना हो।
ट्रेडिशनल स्टैंडर्ड और डिजाइन
कार बनाने के कुछ ट्रेडिशनल स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए स्टीयरिंग व्हील को ड्राइवर सीट के सामने रखा जाता है। पिछले कई सालों से चलते आर ड्राइविंग सीट ड्राइविंग प्रोटोकॉल और डिजाइन का स्टाइल से बदलने से व्हीकल मेकर्स को अपने डिजाइनर प्रोडक्शन प्रोसेस में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं जिससेलागत बढ़ सकती है।