हिंदुस्तान में पितरों का बहुत महत्व है। हर साल भाद्रपद की पूर्णिमा से सर्व पितृ अमावस्या तक पितृपक्ष मनाया जाता है । इस अवधि के दौरान पितरों की आत्मक शांति के तर्पण ,श्राद्ध और पिंडदान किए जाते है।
मान्यता है की पितरों का ऋण चुकाना होता है। 15 दिन चलने वाले पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्व पितृ अमावस्या का महत्व सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में जानते हैं पितृपक्ष की तिथि की शुरुआत के बारे में और इसके महत्व के बारे में।
भारत में पूर्णिमा अमावस्या का इसका अंतिम दिन होता है।15 दिन चलने पितृ पक्ष पूर्णिमा 17 सितंबर मंगलवार से शुरू होगी और 2 अक्टूबर बुधवार को सर्वप्रथम अमावस्या को इसका समापन होगा। पितृ पक्ष का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। ऐसे में आइये जानते है ।
पितृ पक्ष की तिथि श्राद्ध और इसका महत्व।
हर वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद्र पूर्णिमा से शुरू होती है। और सर्व पितृ अंतिम अमावस्या कोइसका अंतिम दिन होता है। इस साल भाद्रपद्र की पूर्णिमा में तर्पण ,श्रद्धा , पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जातकों को पितृ दोषी भी छुटकारा मिलता है। मान्यता है की मृत्यु के बाद यमराज 15 दिनों के लिए मृतक की आत्मा से वह मुक्त कर dete है। ताकि वह अपने परिजनों के पास जाकर तर्पण ग्रहण कर सके। 15 दिन परिजनों के पिंडदान श्राद्ध से पिता अपना अपना भाग लेने आते है और फिर वापस स्वर्ग लोक चले जाते हैं।