इलेक्ट्रिक वाहनों का फ्यूचर मोबिलिटी माना जा रहा है। सरकार में इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रिक टू व्हीलर सहित अन्य EV को प्रमोट कर रही है। लेकिन हाल ही में हुए एक सर्वे में सामने आया है कि यह खरीदने वाले आधे से ज्यादा लोग अपने इस निर्णय से खुश नहीं है। अब ये वापस आईसीई वाला वाहन खरीदना चाहते हैं यानि इन्हे लगता है कि डीजल ,पेट्रोल या सीएनजी से सीएनजी चलने वाली गाड़ी सही है। इस सर्वे दिल्ली -एनसीआर ,मुंबई और बेंगलुरु की 500 इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों को शामिल किया गया था और पार्क प्लस द्वारा ये सर्वे किया गया था।
इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने की अपने निर्णय पर पछता रहे हैं
सर्वे में शामिल51 फीसदी लोगो को कहना है की वो इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने की अपने निर्णय पर पछता रहे हैं। E V के साथ कई तरह की दिक्कत है जिनकी वजह से उन्हें आए दिन परेशानी उठानी पड़ती है ।पर्याप्त मात्रा में चार्जिंग स्टेशन ना होना ,रेगुलर मेंटेनेंस में दिक्कत हो ,रीसेल वैल्यू काफी कम होने की वजह से ही मालिकों का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन लेने फायदे का सौदा नहीं है । सर्वे के अनुसार 88% इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों के लिए सुलभ सुरक्षित और कार्यशील चार्जिंग स्टेशन ढूंढना सबसे बड़ी चिंता का विषय था।
भारत में 20000 से अधिक की EV चार्जिंग स्टेशन होने के बावजूद भी मालिकों को लगा कि इन स्टेशनों कीदृश्यता बेहद अस्पष्ट है और उन्हें खोजना दुष्कर कार्य है EV मलिक 50 किलोमीटर से कम की सिमित में दूरी की छोटी शहरी यात्रा को ही पसंद करते हैं। सर्वे में शामिल 73 EV मालिकों को कहना था कि उनकी ev कारे ‘ब्लैक बॉक्स’ की तरह है जिसे वे समझ नहीं पाए। इनका रखरखाव एक बड़ी समस्या है। छोटी-छोटी समस्याओं का स्थानीयमेकेनिक ठीक नहीं कर सकते हैं। गाड़ी को कंपनी के अधिकृत डीलर के पास ले जाना पड़ता है। इसके अलावा मरम्मत की लागत में कोई पारदर्शिता नहीं है।
बहुत कम रीसेल वेल्यू
EV वाहनों काफी कम है गाड़ी के मूल्य निर्धारण का कोई तार्किक तरीका भी अभी तक बना ही नहीं है। यही वजह है की EV को अगर बेचना पड़े तो इसका बहुत कम मूल्य मिलता है। वहीं डीजल पेट्रोल या सीएनजी वाहन की रीसेल वैल्यू का मूल्यांकन बेहतर तरीके से किया जा सकता है । गाड़ी की कंडीशन और उसके द्वारा अभी तक तय किए गए किलोमीटर के आधार पर रेसियल वैल्यू निकल जा सकती है।