बिना स्मोकिंग के भी हो सकता है फेफड़ों का कैंसर ,यहां जाने उन कारणों के बारे में

Saroj Kanwar
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फेफड़ों की कैंसर का सबसे आम कैंसर है और दुनिया में कैंसर में होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है। हर साल लगभग 1.6 मिलियन लोग इस कैंसर से जिंदगी हार जाते है। फेफड़े के कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू धूम्रपान है लेकिन यह लोगों उन लोगों में हो सकता है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया। शोध का दावा है की कैंसर 15% रोगियों का तंबाकू सेवन का कोई इतिहास नहीं है। धूम्रपान न करने वाले फेफड़ों कैंसर में है सबसे आम कारण वायु प्रदूषण दोनों बाहरी आंतरिक ,निष्क्रिय धूम्रपान ,एस्बेस्टस के संपर्क में आना, रेडों गैस , धुंए और आंशिक प्रवृत्ति है । फेफड़ों का कैंसर एक गंभीर और घातक बीमारी है जो हर साल लाखों लोगों की जान लेती है। यह बीमारी फेफड़ों की कोशिकाओं में सामान्य वृद्धि के कारण होती है। फेफड़ों के कारण कैंसर के कई कारण सकते हैं जिनमें से कुछ के बारे में आप यहां जान सकते हैं। ‘

धूम्रपान

धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण और सामान्य कारण है । सिगरेट ,बीड़ी ,सिगार हुक्का के धुंए में मौजूद तंबाकू के पदार्थ फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने और कैंसर को जोखिम बढ़ाते हैं। लंबे समय तक धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में फेफड़ों की कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

सेकंड हैंड स्मोकिंग

जो लोग धुर्पान नहीं करते लेकिन धूम्रपान करने वालों के पास रहते हैं और उनकेधुएं में सांस लेते हैं उन्हें परोक्ष धूम्रपान का शिकार माना जाता है। सेकंड हैंड में पानी की कैंसर भी एक प्रमुख कारण होता है । क्योंकि इसमें उपस्थित हानिकारक रसायन नॉन स्मोकर्स के फेफड़ों को भी प्रभावित करती है।

प्रदूषण

कारखानों , कंस्ट्रक्शन साइट और अन्य इंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वाले लोग जो कई रासायनिक पदार्थ और प्रदूषकों के संपर्क में रहते हैं उन्हें भी फेफड़ों की कैंसर का खतरा हो सकता है।एस्बेस्टस, आर्सेनिक और रेडॉन जैसी विषैली गैस और रसायन फेफड़ों को डैमेज कर सकते हैं।

पारिवारिक इतिहास और अनुवांशिकता

कुछ मामलो में फेफड़ों के कैंसर का अनुवांशिक हो सकता है। जिन लोगों के परिवार में पहले से फेफड़ों की कैंसर के मामले होते हैं उन्हें इसी बीमारी खतरा होता है। यह अनुवांशिक परिवर्तन और कमजोर इम्युनिटी के कारण हो सकता है। फेफड़ों की कैंसर का इलाज संभव है लेकिन इसके लिए शीघ्र पहचान और उपचार की जरूरत है। हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाना, धूम्रपान छोड़ना और प्रदूषण से बचाव करना इस बीमारी के जोखिम को कम करने की जरूरी स्टेप है।

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