अगर आप भी अपने नाबालिग बच्चे को देते है गाड़ी तो पढ़े किशोर न्याय अधिनियम के कानूनों के बारे में

Saroj Kanwar
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भारत में ड्राइविंग हासिल करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानदंडों में से एक व्यक्ति के पास कानूनी रूप से वयस्क यानी 18 वर्ष या उससे अधिक हो। हाल में में कुछ ऐसी घटनाएं देखने को मिली जिसमें वह गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति की उम्र कम थी ऐसी घटनाएं गंभीर मामला है जो न केवल पुलिस द्वारा बल्कि परिवारों द्वारा भी सख्त प्रवर्तन की आवश्यकता को भी बढ़ाता है। जिसे देखते हुए हम यहां पर मोटर वाहन अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम में बताए गए कम उम्र में वाहनचलाने के लिए जुर्माना और दण्डो के बारे में बता रहे हैं।

कम उम्र में गाड़ी चलाने के दंड

भारत में कम उम्र में वाहन चलाने को लेकर 2019 में संशोधित और कठोर नियम लेकर आए है जो निम्नलिखित है।

मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 199A के तहत अगर नाबालिग अपराध किशोर या मोटर सूर्य मोटर वाहन मालिक के माता-पिता को दोषी माना जाएगा। इसकी साथ ही इसके अनुसार दंडित किया जाएगा।

दंड के अलावा अभिभावक या मोटर वाहन मालिक को 3 साल कीसजा और ₹25000 के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। साथ ही 12 महीने के लिए वहां को पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
अगर आपके पास लर्निंग लाइसेंस है और ऐसा वाहन चला रहा है जिसे चलाने के लिए उसे परमिशन है तो ऊपर बताये जुर्माना और दंड लागू नहीं होंगे अगर नाबालिग इस अधिनियम नियम के तहत कोई अपराध करता है तो 25 वर्ष की आयु होने तक ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकता है।

अगर कोई बच्चा दोषी पाया जाता है तो इस किशोर न्याय की धरा 18 के तहत उसे सलाह और परामर्श के साथ घर भेजा जा सकता है।
बच्चों को निगरानी में सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया जा सकता है।
बच्चे उसके माता-पिता पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
बच्चों को किसी जिम्मेदार व्यक्ति की देखरेख में 3 साल तक परिवीक्षा पर छोड़ा जा सकता है जिससे बच्चों के अच्छे व्यवहार और कल्याण को सुनिश्चित करना होगा।
बच्चे को 3 साल के लिए एक विशेष घर में भेजा जा सकता है जहाँ पर उसे शिक्षा ,कौशल ,विकास परामर्श ,व्यवहार संशोधन चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सहायता दी जाएगी।

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