ज्योतिष के अनुसार हर व्यक्ति को शनि की साढ़े सटी हो या ढैय्या का सामना करना पड़ता है। शनि देव के उपाय और पूजन से शनि दोष दूर होता सनातन धर्म में शनि देव के उपाय और पूजन से न्याय के देवता कहे जाने वाले शनिदेव की पूजा करने से जीवन से सभी कष्टों से निजात मिलती है। शनि देव को शनिवार को दिन समर्पित माना जाता है कि शनिवार को किसी मंदिर में जाकर भगवान की विधि विधान से पूजा करने से जीवन में आ रही बाधाएं दूर होने लगती है।
भारत में शनि देव के कई प्रसिद्ध चमत्कारी मंदिर है। देश केहर कोने में देने देव की पूजा होती ह। लेकिन शनि देव की कुछ मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है आज हम आपको उन चमत्कारी धामों के बारे में बताएंगे जहाँ शनि देव जाते हैं विराजते हैं ।
कोकिलावन धाम शनि मंदिर
उत्तर प्रदेश की मथुरा जिले में दिल्ली से 128 किलोमीटर को दूर कोसीकला नाम की जगह पर सूर्यपुत्र भगवान शनि देव का मंदिर है। नंद गांव बरसाना और बांके बिहारी मंदिर इसके आसपास ही है यहां की परिक्रमा करने पर मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। मान्यता है कि यहां पर खुद भगवान कृष्ण ने शनिदेव के दर्शन किए थे और वरदान दिया था कि जो भी मनुष्य पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस वन की परिक्रमा करेगा उसके सभी कष्ट कभी नदूर हो जायेंगे जाएंगे।
शिंगणा पुर मंदिर
शनिदेव का यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिंगणापुर गांव में है और यह काफी प्रसिद्ध मंदिर है। क्योंकि मंदिर से जुड़े ऐसे चमत्कार है कि गांव के लोग अपने घरों में कभी ताला नहीं लगाते क्योंकि लोगों का मानना है कि शनि देव की महिमा कारण यहां चोरी नहीं होती साथ ही मंदिर के दर्शन से शनि की साढ़े साती और ढैय्या भी दूर होती है।
शनि मंदिर इंदौर
शनि देव का प्राचीन और चमत्कारी मंदिर जो इंदौर में स्थित है। यह भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे प्राचीन मंदिर है। शनि मंदिर ऐसा माना जाता है कि जूनी इंदौर में स्थापित है। इस मंदिर में शनि देवता धाम पधारे थे। मंदिर के स्थान पर लगभग 300 वर्ष पहले एक 20 फीट ऊंचा टीला था। यहां आने वाले भक्तों पर शनि देव की कृपा बरसती है।
शनि मंदिर उज्जैन
मध्य प्रदेश की राजधानी उज्जैन के मंदिरों की नगरी कहते हैं । सांवेर रोड पर प्राचीन शनि मंदिर यहां का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां शनि देव मंदिर के साथ अन्य नवग्रह भी इसी नवग्रह मंदिर भी है। यहां दूर-दूर से शनि भक्त तथा शनि प्रकोप से प्रभावित लोग दर्शन करने आते हैं। मंदिर के पास से शिप्रा नदी बहती है जिसे त्रिवेणी संगम भी कहते हैं।