दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। भारत की दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों के लिए संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। दक्षिण अमेरिकी देशों से लेकर दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के बाजार में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग बढ़ रही है।
निर्यात हब बन सकता है भारत
इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में चीन की कंपनियों की रुचि घरेलू कार बाजार पर ज्यादा है। जापान की कंपनियों के पास प्रौद्योगिकी है लेकिन उनके पास विस्तार करने की योजना अभी तक नहीं है। भारतीय दोपहिया कंपनियों के पास अवसर है कि वह इस स्थिति का फायदा उठाकर वैश्विक दोपिहया ईवी की प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन सकती हैं।
अनुमान है कि वर्ष 2030 तक भारत से 10 लाख से ज्यादा दोपिहया वाहनों का निर्यात हो सकता है। केंद्र सरकार की तरफ से भारतीय ईवी कंपनियों को सब्सिडी देने के साथ ही विदेशी बाजारों में पैर पसारने के लिए भी हरसंभव मदद दी जा रही है।
मांग बढ़ने की उम्मीद
दोपहिया बाजार में भारतीय कंपनियों की भी बहुत जबरदस्त मांग बढ़ने की सूरत बन रही है। सरकार इस बारे में व्यापक अध्ययन करने में कंपनियों को मदद करेगी। अभी तक जो सूचना सामने आई है उसके मुताबिक, पिछले छह महीनों में चीन की इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों ने दोपिहया वाहनों के निर्यात पर ब्रेक लगाना शुरू कर दिया है।
बजाज आटो, टीवीएस व हीरो के स्कूटर व मोटरसाइकिल इन बाजारों में चीन की दोपहिया कंपनियों को पहले ही बाहर कर चुकी हैं। ये कंपनियां आसानी से अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को इन बाजारों में बेच सकती हैं। एथर एनर्जी ने नेपाल के बाजार में प्रवेश किया है। नीति आयोग ने भारतीय कंपनियों को कहा है कि विदेशी बाजार में उपलब्ध संभावनाओं का फायदा उठाने के लिए उन्हें अपनी मौजूदा निर्माण क्षमता का विस्तार करना होगा।
अभी भारतीय बाजार में ही काफी ज्यादा मांग होने की संभावना है। वर्ष 2019-20 में भारत में सिर्फ 28 हजार इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर व्हीकल की बिक्री हुई थी, जो वर्ष 2023-24 में बढ़ कर 7.28 लाख हो गया है। चालू वित्त वर्ष के दौरान बिक्री में तीन गुणा वृद्धि की संभावना जताई गई है।