हरियाली अमावस्या में इस महूर्त में करे दान -स्नान ,पितरो की आत्मा को मिलेगी शांति

Saroj Kanwar
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हरियाली अमावस्या जिसे सावन अमावस्या अमावस्या भी कहते हैं। हिंदू कैलेंडर में श्रावण अमावस्या वही अमावस्या को मनाए जाने का एक महत्वपूर्ण है। श्रावण मास मानसून के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है जो धरती को हरियाली की चादर से ढक देता है। यही कारण है की के श्रावण मास की अमावस्या के त्यौहार को हरियाली का त्योहार कहते हैं। हमको बता दे हरियाली अमावस्या सावन शिवरात्रि के एक दिन बाद आती जो चतुर्दशी तिथि को आती है।

7 अगस्त ,बुधवार को शुक्ल पक्ष की तिथियां के दिन मनाई जाती है

हरियाली अमावस्या के दिन बाद यानी 7 अगस्त ,बुधवार को शुक्ल पक्ष की तिथियां के दिन मनाई जाती है। हरियाली अमावस्या को वर्षा ऋतु के त्यौहार के रूप में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस दिन भगवान शिव की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है। हरियाली अमावस्या का उत्सव भारत के उत्तरी राज्य जैसे राजस्थान ,उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में बहुत प्रसिद्ध है । यह अन्य क्षेत्र में भी प्रसिद्ध है। लेकिन अलग-अलग नाम से।

ड़ीसा में इसे ‘चितलागि अमावस्या’ के नाम से जाना जाता है

महाराष्ट्र में से ‘गटारिया अमावस्या’ आंध्र प्रदेश में  ‘चुक्कला अमावस्या’ उड़ीसा में इसे ‘चितलागि अमावस्या’ के नाम से जाना जाता है . अमावस्या पर भक्तों को सुबह जल्दी उठते और स्नान करते हैं। इसके बाद पूर्वज और पितरों का prshnn करने के लिए पूजा की जाती है। विशेष भोजन तैयार किया जाता है और ब्राह्मणों को दिया जाता है। परिवार का पुरुष सदस्य अपने मृतक परिवार के सदस्यों को शांति प्रदान के लिए सभी पितृ अनुष्ठान करते हैं।

3 अगस्त को 2024 को अमावस्या तिथि दोपहर 3:50 पर शुरू होगी। 4 अगस्त को शाम 4:42 तक रहेगी। उदया तिथि रविवार को पड़ रही है। ऐसे में हरियाली अमावस्या चार अगस्त को मनाई जाएगी। हरियाली अमावस्या के दिन कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं । ऐसे में इसका महत्व बढ़ जाता है। अमावस्या के दिन रवि पुष्य योग व स्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहे हैं। रवि पुष्य योग सुबह05:43 से दोपहर 01:26 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही स्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:30 से दोपहर 1:26 तक रहेगा।

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