इन किसानो के कलेक्टर ने जारी किये आदेश ,तीन दिन में मिलेगा इन्हे 40 करोड़ रूपये का क्लेम

Saroj Kanwar
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किसानों को प्राकृतिक आपदा की प्रकोप से फसल को भी नुकसान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। इसके तहत आंधी ,बारिश ,तूफान ओला वृष्टि सहित अन्य प्राकृतिक आपदा से फसल नुकसान का मुआवजा दिया जाता है। इसके तहत प्रभावित किसान क्लेम करके मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं जिन्होंने पसंद पीएम फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसलों का बीमा करवा रखा होता है। कंपनियां अकारण ही देर करने लगती और किसान के क्लेम को लटका कर रखती है ।

कभी-कभी बीमा कंपनियों की मनमानी के चलते किसानों को मुआवजा मिलने में बहुत देरी हो जाती है।

लेकिन कभी-कभी बीमा कंपनियों की मनमानी के चलते किसानों को मुआवजा मिलने में बहुत देरी हो जाती है। किसानों को क्लेम का पैसा देने इसमें कंपनियां अकारण ही देर करने लगती और किसान के क्लेम को लटका कर रखती है जिसके कारण क्लेम के लिए बीमा कंपनी के चक्कर लगाता रहता है। एक ऐसा ही मामला राजस्थान के सांचौर जिले चितलवाना से सामने आया है। मीडिया में मामले में खुलासा होने के बाद जिला का कलेक्टर ने संबंधित बीमा कंपनी को अगले तीन दिन में पीड़ित 1944 किसानों को 40 करोड़ रुपए का बीमा देने के आदेश दिए। इससे किसानों को राहत मिली है।

बीमा कंपनी ने पीड़ित किसानों को क्लेम अटका दिया

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक , प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रबी व खरीफ सीजन 2020 से 2022 के बीच किसानो की बीमा क्लेम की राशि उनके खातों में जमा नहीं की गई है। बीमा कंपनी ने पीड़ित किसानों को क्लेम अटका दिया इसमें एक या दो नहीं कल 1944 किसानों का 40 करोड़ का भुगतान कंपनी ने रोक दिया। इधर किसान बीमा कंपनी के चक्कर काटकर परेशान हो गए। जब मामला मीडिया में आया तो मामले की गंभीरता को समझते हुए जिला कलेक्टर शक्ति सिंह राठौड़ ने कंपनी को तुरंत प्रभाव से 3 दिन की अवधि में किसानों को उनके खाते में राशि ट्रांसफर करने के आदेश दिए हैं। जिला कलेक्टर द्वारा से किसानों को चिन्हित किया गया है जिनका 3 साल क्रमशः 2020 से 2022 तक का क्लेम बीमा कंपनी ने अटका रखा है गांव में शिविर लगाकर पीड़ित किसानों के दस्तावेज इक्ट्‌ठे किए गए जिसमें रानीवाड़ा के 240, बागोड़ा के 478, सांचौर के 339 व चितलवाना के 887 किसानों का क्लेम बीमा कंपनी ने रोक रखा था जिन्हें अब क्लेम मिल सकेगा। इसके अलावा कुछ बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि ने किसानों के साथ धोखाधड़ी करने में पीछे नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ,बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि फर्जी दस्तावेजों से किसानों के क्लेम को उठा रहे हैं। इस संबंध में पुलिस थाने में दो मामले दर्ज किया जिनमे पटवारी की भूमिका को संदिग्ध माना जा रहा है। यहां उपरोक्त मामले की जानकारी किसानों को देने का उद्देश्य से उन्हें सतर्क करना है। किसानों के लिए भी समय-समय पर बीमा कंपनी से अपनी पॉलिसी के संबंध में जानकारी लेते लिए यदि कोई गड़बड़ दिखाई दे तो उसके विरुद्ध आवाज जरूर उठाएं इसकी शिकायत किसान पीएम फसल बीमा योजना पोर्टल पर भी कर सकते हैं।

फसल बीमा की नियमों के हिसाब से फसल नुकसान के आंकड़े मिलने की 30 दिन के बाद संबंधित बीमा कंपनियों को क्लेम पास करना होता है। लेकिन बीमा कंपनी और बैंकों की मिली भगत के कारण किसानों तक क्लेम पहुंचने में इससे भी कहीं अधिक समय लग जाता है। ऐसे में सरकार की ओर से बीमा कंपनियों को निर्देश जारी करके किसानों को बीमा राशि समय पर दिए जाने के निर्देश समय-समय पर दिए जाते हैं। फसल बीमा के तहत ऐसी व्यवस्था की गई है यदि बीमा के कंपनी किसान को निर्धारित अवधि 30 दिन के बाद क्लेम की राशि भुगतान नहीं करती है तो इसका ब्याज भी देना होता है। नियमानुसार फसल नुकसान की रिपोर्ट मिलने की एक महीने के अंदर कंपनी को क्लेम का भुगतान करना होता है इससे अधिक देरी होने पर बीमा कंपनी की ओर से किस 12% वार्षिक की दर से ब्याज देना होता है। फसल बीमा एक्ट के अनुसार , सरकार के पास यह अधिकार है जो बीमा कंपनी समय पर किसानों का मुआवजा नहीं देती या नहीं होगा उल्लंघन करती है उसे सेवा ब्लैक लिस्ट कर सकती है उसे बीमा कंपनी के ऊप रजुर्माना भी लगा सकती है।

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