Flibrary in India:  भारत के इस शहर में बनी पहली अनोखी फ्लाइब्रेरी, लाइब्रेरी और फ्लाइब्रेरी में होता है ये अंतर 

Saroj Kanwar
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Difference Between Library and Flibrary : आप लोगों ने “लाइब्रेरी” के बारे में सुना और देखा जरूर होगा. लाइब्रेरी में बैठकर लोग बड़ी शांति से किताबें पढ़ते है. लाइब्रेरी में ज्यादातर बच्चे अपनी पढ़ाई करने के लिए आते है.  

हाल ही में एक नया शब्द सुनने को मिल रहा है “फ्लाइब्रेरी”. फ्लाइब्रेरी का मतलब है एक ऐसी लाइब्रेरी है जो पंख लगाकर उड़ती नहीं, बल्कि लोगों को ज्ञान के पंख देती है. ये शब्द सुनने में भले ही नया लगे, लेकिन इसका मकसद शिक्षा को नई ऊंचाई पर ले जाना है.

इस फ्लाइब्रेरी में सैकड़ों किताबें पढ़ाई की सुविधा के लिए लोगों उपलब्ध कराई जाती है. ये फ्लाइब्रेरी उन लोगों के लिए है जो एक जगह बौठकर किताब नहीं पाते या उनके पास पढ़ने का समय नहीं है. ये स्थायी लाइब्रेरी नहीं हैं – जैसे एयरपोर्ट .

हाल ही में भुवनेश्वर एयरपोर्ट पर किताबों से जुड़ा एक अनोखा दृश्य देखने को मिल रहा है. एक ऐसी जगह जहां न कोई लाइब्रेरी कार्ड चाहिए, न कोई रजिस्ट्रेशन, न कोई नियम-कायदे, और न ही कोई कर्मचारी.

फ्लाइब्रेरी भारत की पहली और अनोखी पहल है. इससे आप फ्लाइब्रेरी में से किताब को अपने घर भी ले जा सकते है. फ्लाइब्रेरी में हिंदी, अंग्रेजी और ओड़िया भाषा की 600 से ज्यादा किताबें रखी गई हैं.

इन सभी किताबों को यात्री बिना किसी औपचारिकता के घर ले जा सकते हैं और पढ़ने के बाद किताब को फिर से वापस कूरियर से भेज सकते हैं. इस फ्लाइब्रेरी में किसी भी तरह की कोई निगरानी नहीं है, कोई पाबंदी नहीं.

ये लाइब्रेरी विश्वास से चलती है. इस एयरपोर्ट पर आने वाले यात्री अपनी पंसद की किताब चुनकर उसे वहां बैछकर पढ़ सकते है या फिर अपने साथ घर पर ले जा सकते है. 

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