हिन्दू सनातन धर्म में भगवान की पूजा के दौरान घंटी बजाना शुभ माना जाता है। मंदिर में जाने के बाद लोग भगवान का स्मरण करने से पहले घंटी बजाते हैं जिसे शुभ और पवित्र माना जाता है। देखा जाए तो घंटी बजाने का सकारात्मक क्रिया है जिसके लिए हिंदू शास्त्र में कुछ खास नियम बनाए गए है। मंदिर में पूजा के दौरान आरती करते वक्त शुभ और मांगलिक कार्यक्रमों के दौरान और भगवान को भोग लगाते वक्त घंटी बजाना शुभ कहते हैं। लेकिन ऐसा करते वक्त कितनी बार घंटी बजानी चाहिए और कैसी घंटी बजानी चाहिए।
बहुत से लोग नहीं जानते चलिए आपको बताते हैं की घंटी बजाने की क्या नियम है और घंटी कैसे बजाते हैं।
कहा जाता है एक घंटा या घंटी बजाने पर ओमकार का उच्चारण पूरा होता है । इस ध्वनि को शास्त्रों में शुभ और चैतन्य माना जाता है। इससे वातावरण में सकारात्मक अवस्था फैलती है। भगवान की मूर्ति चैतन्य होती है इसलिए मंदिर और अन्य शुभ कामो में घंटी या घंटा बजाया जाता है। घंटी बजने में केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है। इसका शरीर पर भी अच्छा असर पड़ता है। विज्ञान में कहा गया घंटी बजाने से पैदा होने वाली ध्वनि शरीर के साथ चक्र को एक्टिव कर देती है। घंटी की आवाज से दिमाग को भी शांति का अनुभव होता है बहुत और माहौल में सकारात्मक फैलती है।
भोग लगाते वक्त कितनी बार बजानी चाहिए घंटी
घर में या मंदिर में जब भगवान का भोग लगाया जाता है तो घंटी बजाई जाती है। शास्त्रों में कहा गया कि भगवान का भोग को वायु यानी हवा के जरिए ग्रहण करते हैं। वायु के आंच तत्व कहे जाते है। व्यान वायु, उड़ान वायु, समान वायु, अपान वायु और प्राण वायु। इस तरह से देखा जाए तो भगवान को भोग लगाते वक्त इन पांच तत्वों का स्मरण करना चाहिए। इसलिए भगवान को भोग लगाते वक्त पांच बार घंटी बजानी चाहिए। कुछ लोग मंदिर में जाते समय और मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी बजाते हैं। यह गलत है। अगर आप मंदिर के अंदर जा रहे हैं तो घंटी बजानी चाहिए। लेकिन मंदिर से बाहर निकलते वक्त घंटी नहीं बजानी चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो मंदिर की पॉजिटिविटी भी ठीक हो वही छोड़कर जा रहे हैं। इसलिए मंदिर में प्रवेश करते वक्त भगवान के दर्शन करने से पहले घंटी बजाई ताकि दिमाग सकारात्मक और आपके शरीर के चक्कर एक्टिव हो जाते है।