दिल्ली में पानी की कमी ने मचा दिया हाहाकार ,लेकिन इस तरिके से पानी बचाकर कर रहे है अच्छा काम ,आप भी जाने इस ट्रिक को

Saroj Kanwar
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तपतपाती गर्मी के बीच राजधानी दिल्ली में पानी का संकट खड़ा हो गया। दिल्ली का क्षेत्र में पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई। समस्या बसे चने के लिए दिल्ली जल मंत्री आतिशी मार्लेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि जिन जगहों पर दिन में दो बार पानी की आपूर्ति की जाती थी वहां दिन में एक बार की जाएगी । ऐसे में बचा हुआ पानी प्रभावित क्षेत्रों में सप्लाई किया जाएगासाथ ही ने कहा कि कुछ समय से हरियाणा पानी की सप्लाई कटौती कर रहा है जिसके चलते राजधानी को पानी का संकट का सामना करना बढ़ रहा है। अगर पानी वाले मुद्दे का समाधान सही समय पर नहीं हुआ तो हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।

राजधानी में पानी के संकट को देखते हुए एक न्यूज चैनल ने आम लोगों से वाटर सेविंग को लेकर बात की जिसमें लोगों ने कई ऐसे तरीके बताइए जिससे मैं भविष्य में जल संकट से बचा जा सकता है।

यहां जाने दिल्ली से वाले कैसे बचा रहे हैं पानी

दिल्ली के चिल्ला गांव की रहने वाली एक महीना ने बताया की कि वह कपड़े धोने के बाद बचे हुए पानी का इस्तेमाल बालकनी धोने होने में करती है साथ आरो से निकलने वाले बेस्ट वाटर का उपयोग पौधा की सिंचाई या फिर घर में पोंछा लगाने में लेती है।

एक शख्स ने बताया कि AC का पानी का इस्तेमाल में पौधों की पानी में देने में काम में लाते हैं। इस तरीके से वह अच्छा खासा पानी बचा लेते हैं।
चाणक्यपुरी में रहने वाली एक महिला ने कहा कि। अपने घर में पोंछा एक दिन छोड़कर एक दिन लगाती है ताकि बड़ी मात्रा पानी बचाया जा सके जबकि बोतल में जो आधा पानी बचता है वह पशु पक्षियों को देती है। वही नहाने के लिए शावर की बजाय बाल्टी का यूज करते हैं इससे अच्छी मात्रा में पानी सेव कर सकते हैं। इसके अलावा छत और बालकनी की धुलाई पाइप के बजाय बाल्टी में पानी भरकर करें इस तरीके से आसानी से पानी बचाया जा सकता है।

वही एक महिला ने कहा कि जब से पानी की किल्ल्त हुयी है तब से टेप के नीचे बर्तन साफ करने की बजाय बाल्टी में पानी भर लेती है । इसके बाद एक-एक करके बर्तन को साफ करती है इससे अच्छा खासा पानी बच जाता है। वही कपड़े वाशिंग मशीन से धोने की बजाय हाथ से धो रही है ऐसा करके भी पानी बचाया जा सकता है।

जल संरक्षण के जल योद्धा के रूप में देश भर में काम कर रहे जल शक्ति विद्यापीठ के अध्यक्ष पद्मश्री उमाशंकर पांडेय ने बताया की पुरखों के जो जल जोड़ने की परंपरागत तरीके हैं वह बेजोड़ है । खेत पर मेड़ और मेड पर पेड़ बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि खेत का पानी खेत में ,गांव का पानी गांव में और घर में घर का पानी घर में ,जंगल का पानी जंगल में रहेगा तो पानी की किल्ल्त नहीं होगी।

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