UPSC success story: खेत में मजदूरी कर रहे पिता के पास आया फोन, मैं IAS बन गया

Saroj Kanwar
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‘कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती ‘ये कहावत आपने बहुत बार सुनेंगे लेकिन आज हम आपको इसी कहानी के बारे में बताने वाले है जिस पर कि ये कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है । जी हाँ ,हम आपको बताने वाले आईएएस ऑफिसर बुद्धि अखिल की कहानी। इस अफसर ने कई मुसीबत और मुश्किलों का सामना करते हुए यह मुकाम हासिल किया। यहां जानते है इसके बारे में विस्तार से।

बापू नेनु आईएएस अइया

इनकी कहानी के अनुसार ,दोपहर का वक्त था चिलचिलाती गर्मी में तेलंगाना के सिद्दीपेट जिले से करीब 17 किलोमीटर दूर कोंडापाका गांव में बुद्धि नरेश अपने खेतों में काम कर रहे थे। तभी एकदम उनके फोन की घंटी बजे नरेश ने मोबाइल देखा तो बड़े बेटे बुद्धि अखिल का फोन था। उन्होंने मोबाइल उठाया हर हर फोन पर अगर जैसे हेलो के दूसरी तरफ से आवाज आई , बापू नेनु आईएएस अइया।
इस का मतलब है कि बापू मैं आईएएस बन गया इतना सुनते बुद्धि नरेश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया एक अलग ही मुस्कान खिल गई। नरेश तुरंत घर पहुंचे। नरेश तुरंत घर पहुंचे। पत्नी ललिता और छोटे बेटे अजय को खुशखबरी दी, तो पूरा परिवार खुशी में नाचने लगा।

अखिल ने इसके लिए अपने विभाग से एक साल की छुट्टी ले ली

आज की कहानी आईएएस ऑफिसर बुद्धि अखिल की ,जिसने की यूपीएससी परीक्षा में 321 वी रैंक हासिल की है। लेकिन आपको बता दे ऐसा पहली बार नहीं है ,जब अखिल को देश ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे मुश्किल परीक्षा में से एक यूपीएससी की सफलता मिली एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में अखिल को 566 वी रेंक मिली थी। इसके बाद उनकी नियुक्ति दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर हुयी। हालांकि, अखिल का मकसद था- आईएएस बनना। उन्होंने तय किया कि वो एक बार फिर से कोशिश करेंगे। अखिल ने इसके लिए अपने विभाग से एक साल की छुट्टी ले ली।

ऐसा नहीं है की अभी उनके जीवन में सफलता लिखी थी। बुद्धि अखिल के हिस्से में अभी भी और इंतजार लगाया , जब 2022 का यूपीएससी रिजल्ट आए तो अखिल बहुत मामूली अंतर से मेरिट लिस्ट में जगह बनाने से चूक गए। एक और उन्हें दिल्ली पुलिस में अपनी ट्रेनिंग भी ज्वाइन करनी थी इसके बावजूद, अखिल ने हार नहीं मानी और एक बार फिर से परीक्षा की तैयारी में जुट गए। एसीपी की ट्रेनिंग से जो भी वक्त बचता, अखिल उसी में इंटरव्यू की तैयारी करने बैठ जाते थे । अखिल की मेहनत रंग लाई। 16 अप्रैल को जब यूपीएससी का रिजल्ट घोषित हुआ, तो उनकी रैंक पिछले बार से कहीं ज्यादा बेहतर थी। अब की बार उनकी त0मेहनत काफी रंग लाई थी।

बिना कोचिंग के ऐसे पास की परिक्षा

अपनी मेहनत के दिनों का जिक्र करते वक्त अखिल बताते हैं कि आईएएसबनना उनका शुरू से ही सपना था और अब उनका ये सपना पूरा हो गया। साल 2018 में वारंगल के काकतीय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद ही अखिल यूपीएससी की तैयारी में जुट गए थे। उनकी ये सफलता इसलिए भी खास है, क्योंकि अखिल ने बिना किसी कोचिंग के इतनी बड़ी रैंक हासिल की है। कोंडापाका में घर पर रहकर ही उन्होंने ऑनलाइन मौजूद कंटेंटसे अपने नोट्स तैयार किए। उन्होने टाइम टेबल के हिसाब से सेल्फ स्टडी पर पूरा जोर दिया। बता दें कि अखिल पहली बार 2019 में यूपीएससी की परीक्षा में बैठे और अभी तक वो पांच प्रयास कर चुके हैं। पहले प्रयास में वो प्री तक भी नहीं पहुंच पाए थे। अपने पांच प्रयासों में उन्होंने तीन बार मेंस क्लियर किया। दो बार उन्हें इंटरव्यू में सफलता मिली। और आखिरकार, आईएएस बनने का उनका सपना पूरा हो गया।

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