खेती की मिटटी को उपजाऊ बनाने वाली खाद का करके आ दो रिटायर्ड ऑफिसर्स पूसा मेला में छा गए हैं।
दिल्ली में पूषा कृषि मेला का आयोजन हुआ जिसमें किसानों के साथ कई कृषि विशेषज्ञ भी मौजूद थे और खेती किसानी के क्षेत्र में अपना नाम बनाने तथा किसानो ने की मदद करने वाले कई महान लोग उपस्थित थे जिसमे हम बात कर रहे है मिट्टी को उपजाऊ बनाने वाले ऑर्गेनिक खाद बनाने वाली की सस्ती खाद से किसानों के खेत की मिट्टी का उपजाऊ बना रहे हैं और उनकी तारीफ करते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी करते हुए नहीं तक रहे है। मन की बात में प्रधानमंत्री ने दो लोगों की चर्चा की थी इनका नाम देवराज सिंह और रमेश चंद्र है जो की बचपन के अच्छे दोस्त है और एक साथ में सरकारी नौकरी कर रहे थे और साथ में ही सेवानिवृत्त हो गए हैं। यानि की एक समय पर दोनों सेवानिवृत हो गए और अब जैविक खाद बनाकर किसानों की मदद कर रहे हैं। यह सस्ते में किसानों को उपलब्ध रहती है और खेत की मिट्टी को उपजाऊ बना देती है जिसके बाद किसानों का रासायनिक खाद पर खर्च नहींकरना पड़ेगा।
जैविक खाद बनाने में काम आने वाली चीजे
रमेश चंद्र और देवराज सिंह पुलिस और सेवा में काम करते थे। लेकिन अब जैविक खाद बनाते हैं। उन्होंने खाद बनाने का एक अच्छा तरीका अपनाया जिसमें 365 दिन की बजाय सिर्फ 10 दिन में खाद तैयार हो जाती है। जी हां दरअसल आईआईटी कानपुर के टेक्नोलॉजी की मदद से खाद बनाते है। इस खाद को बनाने के लिए गोबर ,बेसन गुड़ आदि का इस्तेमाल होता है। इन सभी चीजों को उचित मात्रा में लेकर टैंक में डालते हैं जिसमें दो पंखे और बल्ब लगे रहते हैं। खाद बनाने की अनोखी तकनीक से 10 दिन में खाद तैयार कर देती है और फिर किसान इसका खेतों में इस्तेमाल करते हैंतो कुछ निश्चित समय के बाद खेत की मिट्टी उपजाऊ हो जाती है।सके बाद कीटनाशक और पेस्टिसाइड आदि की जरूरत ही नहीं पड़ती है।
₹11 की खाद
जी हां किसानो को यह जैविक ₹11 में मिल जाएगी। 11 रुपए किलो में इस खाद को खरीद का इस्तेमाल कर सकते हैं। वह लोग जो बागवानी करते हैं उन्हें भी खाद इस्तेमाल करके फायदा होगा। इस खाद से मिट्टी उपजाऊ होगी जिसे सेहत पर भी किसी प्रभाव का तरह का प्रभाव नहीं होगा नहीं पर्यावरण प्रदूषण होगा। यह 1 एक जैविक खाद है जिससे उत्पादन भी अधिक मिलेगा।किसान खाद खरीदने के लिए सोनीपत के मंडोर गांव संपर्क कर सकते हैं। वहां पर उनका प्लांट है।आरएसवीसी भू-अमृत नाम से वह प्रोडक्ट तैयार करते हैं। यह मिट्टी परीक्षण में भी किसानों की मदद करती है तथा फसलों में लगने वाले रोगों को 15 दिनों पहले पता करने की जानकारी देते हैं। दरअसल, वह एक ऐसा परीक्षण करते है जिससे फसल में लगने वाले रोगो को पहले ही जान सकते हैं।