सोलर पैनल को लेकर ये गलतफ़हमियाँ लोगो को रोकती है घर में सोलर पैनल लगवाने से ,यहां जाने इसकी सच्चाई

Saroj Kanwar
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आज की दुनिया में सोलर पैनल एक बेहतरीन टेक्नोलॉजी है जो आपके घर को बिजली प्रोवाइड करने के लिए सोलर एनर्जी का उपयोग करती है । बिजली की बढ़ती डिमांड और एनर्जी रिसोर्स की कमी ने लोगों को अल्टरनेटिव एनर्जी सोर्स की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है। सोलर पैनल के बारे में कई मिथक और गलत फहमी लोगों को इस टेक्नोलॉजी का अपनाने से रोक सकती है। आर्टिकल में हम सोलर पैनल के बारे में कुछ सबसे बड़े मिथक या झूठ का खुलासा करेंगे और सच्चाई जानेंगे।

यह गलतफहमी है कि सोलर पैनल सिर्फ इंटेंस सनलाइट में ही मैक्सिमम एनर्जी जनरेट करते हैं और बादल या बरसात की कंडीशन में उनकी एफिशिएंसी काफी कम हो जाती है। टेक्निकल प्रोग्रेस के कारण मॉडर्न सोलर पैनल इस कंडीशन में एनर्जी जनरेट कर सकते हैं। पैनल को टेंपरेचर सनलाइट की नटेन्सिटी से ज्यादा है। उसकी परफॉर्मेंस को इफेक्ट करता हैज़्यादा टेम्प्रेचर पैनल की एफिशिएंसी को कम कर सकता है क्योंकि ज़्यादा अब्सॉर्ब्ड एनर्जी हीट के रूप में लॉस हो जाती है।

पहली गलतफहमी -कम धुप में सोलर पैनल कम पावर देते है

बाई फेशियल सोलर पैनल दोनों तरफ से सनलाइट को अब्जॉर्ब कर सकते है है ये स्टैंडर्ड पैनल की तुलना में ज्यादा एनर्जी जनरेट करते हैं। यह विशेषता उन्हें अलग-अलग मौसम की कंडीशन में ज्यादा एफिशिएंट बनती है। सोलर पैनल लगाते समय उनके स्ट्रक्चर और इंस्टॉलेशन हाइट पर विचार करना चाहिए। ग्राउंड लेवल या जीरो स्ट्रक्चर पर लगाए गए पैनल ज्यादा गर्म हो सकते हैं जिससे उनकी एफिशिएंसी कम हो जाती है इसलिए मैक्सिमम एनर्जी प्रोडक्शन के लिए पैनलों का जमीन या छत से 2 से 2.5 फीट ऊपर लगाया जाना चाहिए।

दूसरी गलतफहमी -डाइरेक्ट लाइट में काम करते है

सोलर पैनल के बारे में सबसे आम गलतियों में से एक यह है कि वह केवल डायरेक्ट लाइट में काम करते हैं और बादल छाए रहने या बारिश होने पर एनर्जी जनरेट नहीं करते हैं। यह बिलीफ पूरी तरह से गलत है। आज के समय मॉडर्न सोलर पैनल खास तो खास कर 2021 के बाद डेवलप किए गए बादलों की प्रजेंट समय एनर्जी जनरेट कर सकते हैं। इन पैनलों में एडवांस हाफ-कट टेक्नोलॉजी और अन्य लेटेस्ट फीचर है जो कई मौसम की कंडीशन के दौरान फंक्शनिंग बनाए रखते हैं।

तीसरी गलतफहमी -सोलर पैनल का काम करने के लिए बिजली की जरूरत

तीसरी गलती फहमी ये भी है कि सोलर पैनल सिस्टम सिर्फ बिजली होने पर ही काम करते हैं। यह समझना जरूरी है कि सोलर पैनल सिस्टम दो प्रकार के होते हैं। ऑन ग्रिड और ऑफ ग्रिड सिस्टम ग्रेड की अवेलेबिलिटी पर निर्भर करते हैं। लेकिन ऑफ-ग्रिड सिस्टम ऐसा नहीं करते। ऑफ-ग्रिड सिस्टम बिजली के बिना भी काम कर सकते हैं जिससे वे दूर-दराज के इलाकों में यूज़फुल हो जाते हैं जहाँ ग्रिड की सप्लाई अवेलेबल नहीं है।

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