यह सही है कि कोई व्यक्ति किसी की संपत्ति चुरा कर नहीं ले सकता जब तक बात अवैध कब्जे की हो, तो कई बार लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। खास करके जब आपने खली सम्पति को किराए पर दी हो तो यह डर हमेशा बना रहता है की कही कोई संपत्ति पर अवैध कब्जा न कर ले ऐसे मामले में कानून का सहारा लेकर अपनी संपत्ति में वापस ले सकते हैं।
हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है, जिसके अनुसार आप बिना कोर्ट गए भी अपनी संपत्ति पर कब्जा प्राप्त कर सकते हैं।
आइये जानते है आइए समझते हैं इस फैसले को और जानते हैं कि कैसे आप बिना किसी कानूनी जटिलता के अपनी प्रॉपर्टी का कब्जा वापस पा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल में संपत्ति पर महत्वपूर्ण फैसला दिया है जिस्म,इ कहा गया यदि किसी व्यक्ति के पास संपत्ति का वैद्य टाइटल है और उसे किसी ने उस पर अभी तक कब्जा कर लिया है तो बिना कोर्ट के आदेश के अपनी संपत्ति को बलपूर्वक वापस ले सकता है । यह फैसला पुनाराम बनाम मोतीराम मामले पर आधारित है जिसमें अदालत ने स्पष्ट किया है की संपत्ति का मालिक अपने अधिकार का उपयोग करते हुए कब्जाधारी को हटा सकता है बशर्ते उसके पास संपत्ति का टाइटल हो।
स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 का महत्व
इस फैसले में स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 के तहत दी गई धारा 5 का उल्लेख किया गया है, जो किसी व्यक्ति को गैर कानूनी कब्जे से अपनी संपत्ति को खाली करने का अधिकार देती है। इस अधिनियम के तहत आपके पास संपत्ति का टाइटल है और वह कोई व्यक्ति उस पर अवैध कब्जा कर रहा है तो आप सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। इसके तहत आपको कोर्ट में मुकदमा दायर करने की आवश्यकता होती है जिससे कब्जाधारी को हटाया जा सके।
क्या होता है जब 12 साल से अधिक समय से कब्जा हो
मोतीराम नामक व्यक्ति इस मामले में तर्क दिया था यह 12 साल से जमीन पर कब्जा कर रहा था और इस कारण से उसे वहां नहीं हटाया जा सकता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया अदालत ने कहा की की 12 साल से अधिक समय तक कब्जा होने के बावजूद यदि संपत्ति का वेध मालिक उस पर कब्जा कर रहा है तो उसके पास संपत्ति का टाइटल है तो वह कब्जा हटाने का अधिकार रखता है , यह प्रावधान केवल उन मामलों में लागू होता है जहां संपत्ति का कोई वेध मालिक नहीं है।
क़ानूनी प्रक्रियाओ की समझ
स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट1963 के अंतर्गत स्पष्ट किया यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर अवैध कब्जा करता है तो उसका मालिक उसे सिविल कोर्ट में मुमुकदमा दायर कर उसका कब्जा हटवा सकता है इस प्रक्रिया में सुनिश्चित किया जाता है कि कब्जा धरी ने नेअवैध तरीके से संपत्ति पर अधिकार नहीं बनाया । इसके अतरिक्त अगर आपको लगता है कि कब्जा करने वाले व्यक्ति का निर्माण कर रहा है या उसे बेचने की कोशिश कर रहा है, तो आप अदालत से स्टे (रोक) आदेश भी प्राप्त कर सकते हैं।
पूनाराम और मोती राम का मामला
राजस्थान के बाड़मेर शहर के निवासी पूनाराम ने 1966 में एक जागीरदार से कई जगहों की ज़मीन खरीदी थी। हालांकि, बाद में पता चला कि उस ज़मीन के असल मालिक मोती राम थे, जिनके पास ज़मीन का कोई कानूनी दस्तावेज नहीं था। पूनाराम ने ज़मीन पर कब्जे के लिए कोर्ट में मामला दायर किया। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने पूनाराम के पक्ष में फैसला सुनाया और मोती राम को जेल भेज दिया।
बाद में मोती राम ने इस मामले की अपील राजस्थान हाईकोर्ट में की, जिसने ट्रायल कोर्ट का निर्णय पलटते हुए मोती राम को जेल में भेज दिया। अंततः, सुप्रीम कोर्ट ने पूनाराम के पक्ष में निर्णय सुनाया, और कहा कि यदि किसी के पास संपत्ति का टाइटल है, तो वह अपनी संपत्ति से अवैध कब्जा हटाने का अधिकार रखता है।
पूनाराम और मोती राम का मामला
राजस्थान के बाड़मेर शहर के निवासी पूनाराम ने 1966 में एक जागीरदार से कई जगहों की ज़मीन खरीदी थी। हालांकि, बाद में पता चला कि उस ज़मीन के असल मालिक मोती राम थे, जिनके पास ज़मीन का कोई कानूनी दस्तावेज नहीं था। पूनाराम ने ज़मीन पर कब्जे के लिए कोर्ट में मामला दायर किया। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने पूनाराम के पक्ष में फैसला सुनाया और मोती राम को जेल भेज दिया।
बाद में मोती राम ने इस मामले की अपील राजस्थान हाईकोर्ट में की, जिसने ट्रायल कोर्ट का निर्णय पलटते हुए मोती राम को जेल में भेज दिया। अंततः, सुप्रीम कोर्ट ने पूनाराम के पक्ष में निर्णय सुनाया, और कहा कि यदि किसी के पास संपत्ति का टाइटल है, तो वह अपनी संपत्ति से अवैध कब्जा हटाने का अधिकार रखता है।