भारत में ऑनलाइन फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे है। ऐसे में सरकार और टेलिकॉम कंपनियों के साथ मिलकर साइबर क्राइम के साथ एक रणनीति तैयार कर रही है। लोकसभा चुनाव के बाद सरकार 100 दिनों के अंदर कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) नाम की सर्विस शुरू कर रही है। इससे आम लोगों में साइबर क्राइम को समझने और इस पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
CNAP कैसे काम करेगा
कॉल की प्राइवेसी के लिए टेलीकॉम कंपनियां कॉलर की पहचान को वेरीफाई करेगी। इससे साइबर क्रिमिनल्स की पहचान करेगा। यह ट्रू-कॉलर ऐप की तरह काम करेगा, जो आपको कॉलर के नाम के साथ आने वाली कॉल के बारे में जानकारी देगा।
जानें फ्रॉड कॉल का कैसे पता लगाए
फ्रॉड कॉल आने पर आपको ये 6 हिंट्स मिलते है, आप इससे फ्रॉड कॉल को पहचान कर सकते है।
- जब अननोन कॉलर आप से आपकी निजी जानकारी या बैंक से जुड़ी जानकारी मांगे। ये फ्रॉड कॉल हो सकते है।
- जब कॉलर आपका रिश्तेदार बनकर या दोस्त बनकर जबरदस्ती पेमेंट के लिए जोर डाले।
- अगर कॉल में आपको कानूनी कार्रवाई या दूसरी धमकी दें तो, समझ जाएं की किसी जालसाज का फोन है।
- अगर कॉलर आपके डिवाइस का रिमोट एक्सेस मांग रहा हों।
- कॉलर आपको कुछ जानकारी के बदले इनाम का लालच दे रहा हो, समझ जाएं कि ये फ्रॉड कॉल है।
- अगर कॉलर आपके आपके एटीएम पिन, ओटीपी मांगे तो सावधान रहे, आपके साथ फ्रॉड हो सकता है।