पिता की खुद की सम्पति पर बेटा बेटी कर सकते है अपना अधिकार ?यहां जाने इसका कानून

Saroj Kanwar
5 Min Read

भारतीय कानून के अनुसार पिता की स्व अर्जित संपत्ति पर बेटे -बेटी का कोई स्वाभाविक अधिकार नहीं होता है। पिता अपनी कमाई हुई संपत्ति को अपनी इच्छा के अनुसार , किसी को भी दे सकता है । हालांकि पैतृक संपत्ति के मामले बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार होता है। स्व-अर्जित संपत्ति का वसीयत के जरिए संपत्ति का निर्धारण किया जा सकता है। कई बार परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद होते हैं खासकर जब तक किसी पिता की संपत्ति को लेकर उसके बच्चों के अधिकारों की बात आती है । क्या बेटा बेटी अपने पिता की कमाई संपत्ति पर अधिकार जता सकते हैं। इस सवाल का जवाब भारतीय कानून में साफतौर पर दिया गया है।

क्या कहता है भारतीय कानून?


भारतीय कानून के तहत पिता द्वारा अर्जित या खरीदी गई संपत्ति पर उसकी बेटी है या बेटी का कोई स्वाभाविक अधिकार नहीं होता जब तक की पिता खुद अपनी इच्छा से उन्हें देना नहीं चाहता इस स्थिति को स्वजीत संपत्ति कहा जाता अगर पिता ने अपनी मेहनत से संपत्ति बनाई है तो उसे यह अधिकार है कि वह संपत्ति का उपयोग , बिक्री, या किसी को भी हस्तांतरित करने के लिए स्वतंत्र है।

स्वजीत संपत्ति और पैतृक संपत्ति में अंतर

स्व-अर्जित संपत्ति

यह वह संपत्ति है जिसे व्यक्ति ने अपनी मेहनत ,आय या किसी अन्य वेध स्रोत से अर्जित किया हो। इस संपत्ति पर केवल अर्जित कर्ता का अधिकार होता है। बेटा बेटी संपत्ति पर तब तक दावा नहीं कर सकती जब तक पिता को अपनी वसीयत या किसी अन्य तरीके से उन्हें देने का निर्णय नहीं करता।

पैतृक संपत्ति

पैतृक संपत्ति वह होती है जो चार पीढ़ियों से चली आ रही है जैसे कि दादा से पिता और बेटे तक इस प्रकार की संपत्ति में बेटा बेटी का अधिकार जन्म से होता है । वह इसके हिस्सेदार होते हैं।

स्व-अर्जित संपत्ति पर बच्चों का अधिकार नहीं

भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, एक पिता अपनी स्व-अर्जित संपत्ति का पूर्ण अधिकार रखता है और वह इसे किसी भी व्यक्ति को दे सकता है। वह इसे किसी भी व्यक्ति के नाम कर सकता है, चाहे वह परिवार का सदस्य हो या न हो। बेटे-बेटी इस संपत्ति पर केवल तभी दावा कर सकते हैं, जब पिता इसके लिए वसीयत बनाकर उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित करता है। अगर पिता वसीयत के बिना ही मृत्यु हो जाता है, तो संपत्ति उसकी पत्नी, बच्चों और कानूनी वारिसों में विभाजित हो जाती है, परंतु तब भी यह स्व-अर्जित संपत्ति के नियमों के अनुसार ही होगा।

क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कई मौका पर इस विषय पर स्पष्ट किया है कि बेटा बेटी स्व अर्जित संपत्ति पर कोई कानूनी दावा नहीं कर सकते। कोर्ट का मानना है कि स्व अर्जित की गई संपत्ति को दान बेचने या किसी अन्य व्यक्ति को स्थानांतरित करने का अधिकार केवल उसे व्यक्ति के पास है जिसने इसे अर्जित किया है।

वसीयत के महत्व

अगर पिता अपनी संपत्ति के बंटवारे को निर्धारित करना चाहता है तो वह वसीयत बना सकता है। वसीयत के माध्यम से वो स्पष्ट रूप से तय कर सकता है। कि उसकी संपत्ति किसे मिलेगी। अगर कोई वसीयत नहीं होती, तो उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार संपत्ति का बंटवारा किया जाता है।
बाप की कमाई हुई संपत्ति पर बेटा-बेटी का कोई स्वाभाविक या जन्मसिद्ध अधिकार नहीं होता। यह पूरी तरह पिता की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह अपनी संपत्ति किसे देना चाहता है। हालांकि, पैतृक संपत्ति के मामले में बच्चों का अधिकार जन्म से होता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि परिवारों में संपत्ति से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए वसीयत और कानून की उचित जानकारी हो।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *