ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु को छाया ग्रह माना गया है। अगर कुंडली में इन दोनों ग्रहों की स्थिति ठीक नहीं है, तो जीवन में काफी उथल-पुथल हो सकता है। इसलिए लोग राहु-केतु की पूजा कराते हैं। तिरुपति के श्रीकालाहस्ती मंदिर में 30 रूसी पर्यटक राहु-केतु की पूजा कराते नजर आए।
सभी पर्यटक एक दिन पहले ही मंदिर परिसर पहुंचे थे। विद्वानों से इस पूजा के बारे में जाना और फिर विधिविधान से पूजा कराया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सभी पर्यटक भारतीय वेशभूषा में नजर आए।
दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं इसे
भगवान शिव का यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के पास श्रीकालाहस्ती नाम की जगह पर है। इसे दक्षिण का कैलाश और काशी भी कहा जाता है। इस मंदिर को राहु-केतु मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। शिवलिंंग को वायु तत्त्व लिंग माना जाता है, इसलिए पुजारी भी इसका स्पर्श नहीं करते। भगवान शिव के तीर्थस्थानों में इस स्थान का विशेष महत्व है।
दूर हो जाती हैं तकलीफें
यह मंदिर राहु-केतु की शांति पूजा के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई यहां आकर शांति पाठ करा ले तो उसकी तकलीफें दूर हो जाती हैं। ब्रह्मा द्वारा इस स्थान पर कालहस्तेश्वर की पूजा की गई थी। तिरूपति से महज 36 किलोमीटर दूर स्थित श्रीकालाहस्ती मंदिर को श्रद्धालु सभी पापों को धोने के लिए शक्तिशाली दिव्य शक्ति के रूप में मानते हैं।