Retirement Age Hike Update: अब रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर 60 की जगह होगी इतनी ,यहां जाने हाईकोर्ट ने क्या कहा

Saroj Kanwar
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भारत में सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट और हमेशा चर्चा में रही है। आमतौर पर 60 वर्ष की उम्र तक कर्मचारी सेवाएं देने के बाद रिटायर हो जाते है लेकिन हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने की ऐतिहासिक फैसला सुनाया है , जिसके तहत सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट बदलाव हो सकता है। कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकारी कर्मचारी 60 वर्ष की उम्र में रिटायर नहीं होंगेजिससे कर्मचारियों की नई उम्मीद मिली है।

यह निर्णय न केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत का कारण बना है बल्कि पूरे देश में रिटायरमेंट आयु बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है। अभी सवाल उठता है कि क्या 60 वर्ष की रिटायरमेंट आयु वाकई सही है या फिर इसे बढ़ाकर कर्मचारियों को अधिक समय तक कार्य करने का अवसर दिया जाए इसलिए उन्होंने रिटायरमेंट आयु पर नए दृष्टिकोण को जन्म दिया है।

क्यों जरूरी है रिटायरमेंट आयु में वृद्धि पर समीक्षा? जानिए

भारत में सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु 60 वर्ष निर्धारित की गई है लेकिन समय-समय पर इस पर सवाल उठाए जाते हैं। एक महत्वपूर्ण तर्क ये है की जीवनकाल बढ़ाने और लोग स्वस्थ रहने के कारण कार्य क्षमता भीबढ़ी है। अगर कर्मचारियों को रिटायरमेंट तक काम करने का मौका मिले तो इससे न केवल उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि सरकार को भी अनुभवी कर्मचारियों का लाभ मिलेगा।

बढ़ते जीवनकाल के क्या कारण हैं जानिए

पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं में हुए सुधार ने जीवन काल को बढ़ा दिया जिसके परिणाम स्वरुप लोग अब अधिक समय तक स्वस्थ रहते है यह सुधार उन्हें लंबे समय तक काम करने की क्षमता देता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। इसके अलावा वरिष्ठ कर्मचारियों की आवश्यकता जो किसी भी संगठन या संस्थान के लिए अमूल्य संपत्ति बन सकता है। इस अनुभव का लाभ संगठन को बेहतर निर्णय लेने और कार्य कुशलता में सुधार करने में मिलता है। इस कारण से रिटायरमेंट आयु में बदलाव की आवश्यकता पर विचार करना आवश्यक हो गया है।

क्या आदेश है हाईकोर्ट का जानिए


हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें उन्होंने 60 वर्ष की रिटायरमेंट आयु को अब उपयुक्त नहीं माना है। कोर्ट ने यह आदेश दिया कि सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट का निर्णय केवल उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति के आधार पर लिया जाना चाहिए, न कि केवल उनकी उम्र को देखकर। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि कर्मचारियों के कार्यकाल को उनकी सेहत और काम करने की क्षमता के आधार पर देखा जाना चाहिए।

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