होम लोन लेना आज के समय खाली घर खरीदने के प्रमुख साधन बन गया है। लेकिन ब्याज दरों में बढ़ोतरी और बढ़ती ईएमआई के कारण कई कर्जदारों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को हल करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने नई दिशा निर्देश जारी किए है। इन नियमों का उद्देश्य कर्जदारों को राहत देना और भुगतान को अधिक लचीला बनाना है।
आरबीआई के नए नियम: मुख्य बदलाव
आरबीआई नेबैंको और वित्तीय संस्थाओं का निर्देश दिया है कि वे होम लोन धारकों की वित्तीय स्थिति के अनुसार EMI बढ़ाने या लोन की अवधि बनाने का विकल्प दे।
EMI बढ़ाने का विकल्प –कर्जदार अपनी मासिक EMI बढ़ाकर लोन जल्दी चुका सकते हैं।
लोन अवधि बढ़ाने का विकल्प -मासिक EMI का बोझ कम करने के लिए लोन की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
दोनों विकल्पों का संयोजन -कर्जदार अपनी सुविधा के अनुसार EMI और लोन अवधि का संतुलन बना सकते हैं।
ब्याज दरों में वृद्धि के समय राहत
ब्याज दरों में वृद्धि का सीधा असर कर्जदारों की ईएमआई पर पड़ता है। ननए नियमो तहत।
EMI बढ़ाने के फायदे –लोन जल्दी खत्म हो जाता है।
कल ब्याज राशि कम हो जाती है।
लोन अवधि बढ़ाने के फायदे
मासिक ईएमआई कम हो जाती है।
मासिक वित्तीय बोझ कम हो जाता है।
दोनों का संयोजन
कर्जदार अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार EMI और लोन की अवधि का सही संतुलन बना सकते हैं।
कर्जदारों को नए नियमो होने वाले फायदे
आरबीआई की निशा निर्देशों के से कर्जदारों के कोई फायदे मिलेंगे।
वित्तीय लचीलापन: कर्जदार अपनी आय और खर्चों के अनुसार लोन भुगतान का विकल्प चुन सकते हैं।
ब्याज का नियंत्रण: ईएमआई बढ़ाने से ब्याज की कुल राशि कम की जा सकती है।
आसान प्रबंधन: लंबी अवधि का विकल्प चुनकर मासिक बजट को संतुलित किया जा सकता है।