इस साल अगस्त में केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम की जगह यूनिफाइड पेंशन स्कीम को लागू करने की घोषणा की । माना जा रहा है कई राज्य में अपने कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू करने जा रहे हैं। महाराष्ट्र इसकी घोषणा कर चुका है और अन्य राज्यों की घोषणा भी चर्चा में है । यूनिफाइड पेंशन स्कीम की घोषणा से पहले राजस्थान , हिमाचल प्रदेश ,पंजाब से कई राज्यों ने एनपीएस की जगह ओल्ड पेंशन स्कीम फिर से लागू करने का ऐलान कर दिया था जिससे उन्हें आर्थिक स्थिति काफी दबाव में आने की आशंका जाहिर की थी।
लेकिन पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च का मानना है की यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू करने से भी ज्यादा आर्थिक दबाव पड़ेगा।
यूपीएस लागू करने पर राज्य सरकार को एनपीएस की तुलना कर्मचारियों की पेंशन फंड में अधिक वित्तीय योगदान करना होगा। एनपीएस में उन्हें कर्मचारियों की वेतन का 14% पेंशन फंड में देना होता था।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम
यूनिफाइड पेंशन स्कीम में योगदान बढ़कर 18.5% हो जाएगा जबकि कर्मचारियों का योगदान नहीं बढ़ेगा। एनपीएस के तहत कर्मचारियों के निर्धारित पेंशन नहीं थी। यूनिफाइड पेंशन स्कीम में कर्मचारियों की अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में देने वाले देना अनिवार्य होगा। अगर पेंशन फंड में सरकार इस शर्त को पूरा नहीं कर पाएगी तो उसे अलग की बजटीय प्रावधान करना होगा। यूपीएस में कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद ग्रेच्युटी के अलावा भी ठीक-ठाक राशि मिलेगी। prs के मुताबिक ,चुनावी रेवड़ी की वजह से राज्यों की वित्तीय स्थिति पहले ही नाजुक दिख रही है।
Pension Fund
कई राज्यों की पेंशन, वेतन, सब्सिडी व ब्याज भुगतान का खर्च ही उनके राजस्व का 80 प्रतिशत से अधिक हो चला है। महिलाओं के साथ कई अन्य स्कीम के तहत अन्य लोगों को राज्य सरकार मुफ्त में राशि दे रही है। चालू वित्त वर्ष में कर्नाटक में सिर्फ महिलाओं के खाते में 28,000 करोड़ रुपये मुफ्त में दिए जाएंगे।
महाराष्ट्र में इस मद में सालाना 46,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि महिलाएं इन राशियों को घर के सामान के लिए खर्च कर देती हैं ! जिससे मांग का सृजन होता ह।