Old Hindi Song: “कौन दिशा में ले के चला रे…”  जब मन की राहें जीवन को संगीत बना दें

Saroj Kanwar
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Old Hindi Song: 1982 में आई फिल्म नदिया के पार का एक ऐसा गीत, जो सुनते ही सीधा दिल तक पहुंच जाता है। “कौन दिशा में ले के चला रे…”। इस गाने को स्वरबद्ध किया था सुरों की मल्लिका हेमलता और मधुर आवाज़ वाले जसवंत सिंह ने। इसके बोल और संगीत दोनों ही दिए थे रविंद्र जैन ने, जिन्होंने साधारण शब्दों में असाधारण भाव भर दिए।

इस गीत को पर्दे पर जीवंत किया था सचिन पिलगांवकर और साधना सिंह ने। दोनों की मासूम अदाकारी, गांव की सादगी और नदी किनारे की खूबसूरत लोकेशन के साथ यह गाना आज भी उतना ही ताजा लगता है, जितना उस वक्त था।

गाने की खास बात यह है कि इसमें कोई भारी भरकम संगीत या बड़े सेट नहीं हैं, फिर भी यह सीधे आत्मा से जुड़ता है। यह गीत जैसे खुद में एक सवाल है कि ज़िंदगी हमें कहां लिए जा रही है? और जवाब भी है। कि चलो बस चलते रहो, मन की दिशा खुद मंज़िल बन जाएगी।

आज 40 से ज्यादा साल बीत चुके हैं, लेकिन “कौन दिशा में…” आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। इंटरनेट पर इसे लाखों लोग हर हफ्ते सुनते हैं, और हर बार किसी नई भावना के साथ जुड़ते हैं।

इस गाने ने सिर्फ एक फिल्म का हिस्सा बनकर काम नहीं किया, बल्कि एक पीढ़ी के इमोशन्स की आवाज़ बन गया। अगर कभी आपको अपने जीवन की दिशा को लेकर उलझन हो, तो बस यह गाना सुनिए। शायद जवाब खुद-ब-खुद मिल जाए।

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