बिहार में जमीन विवाद एक बड़ी समस्या बन चुकी है और इसे लेकर आए दिन थाना और कोर्ट में मामले दर्ज होते रहते हैं। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भूमि विभाग से जुड़े मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आंकड़ों के मुताबिक राज्य में लगभग 50% की इस भूमि विवाद से संबंधित होते हैं। ये विवाद न सिर्फ कानूनी स्तर पर जटिल होते हैं, बल्कि कभी कभी हिंसा तक पहुंचा जाते है। जिससे हत्याओं और अन्य गंभीर अपराधों का भी सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद बिहार सरकार और पुलिस प्रशाशन ने इस दिशा में कदम उठाने में लगे है ताकि विवादों का समाधान जल्दी ही हो सके और उन्हें बढ़ने से रोका जा सके
मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने भूमि विवादों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है
हालांकि, हालिया घटनाओं और मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने भूमि विवादों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारत सरकार ने उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद एक ऐसा आदेश जारी किया जिसमें भूमि विवाद के मामलों में कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है। यह फैसला निश्चित रूप से एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। भूमि विवाद के निपटारे में एक नई दिशा दिखा सकता है। बिहार उच्च न्यायालय के फैसला सुनाया है जिसके तहत केवल वही व्यक्ति अपनी जमीन की बिक्री कर सकेगा जिनके नाम पर जमाबंदी का है यह आदेश पटना उच्च न्यायालय ने हाल ही में सुनाया, जिसके बाद में मद्य निषेध, उत्पाद और निबंधन विभाग ने संबंधित निर्देश जारी किए।
विभाग के उप प्रबंधक महा निरीक्षक मनोज कुमार संजय ने राज्य की सभी जिलों की जिलाधिकारी को पत्र भेजकर इस आदेश को लागू करने के निर्देश दिए हैं। इस निर्देश का पालन सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने कड़ी नजर रखने का भी फैसला किया है। इसका प्रभाव यह होगा कि अब जमीन विवाद में काफी कमी आएगी अगर लोग भूमि खरीदने बेचने में कानूनी दानवो के बीच उलझन से बचेंगे।
सरकार द्वारा पूर्व में जारी आदेश
इससे पहले 10 अक्टूबर 2019 को बिहार सरकार ने भूमि रजिस्ट्री में बदलाव के लिए आधी सूचना जारी की थी इस अधि सूचना के अनुसार केवल उन्हीं लोगों को भूमि रजिस्ट्री का अधिकार था जिनकी नाम पर जमाबंदी रिकॉर्ड उपलब्ध था। हालाँकि फैसले का विरोध भी किया गया था इस हाई कोर्ट ने मामला दर्ज किया गया थाआमोद बिहारी सिंह बनाम बिहार सरकार के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। लेकिन हाई कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार के आदेश को कानूनी रूप से मान्यता मिलेगी। इससे यह स्पष्ट हो गया है जमाबंदी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए भूमि बिक्री संभव होगी।
जमाबंदी या जिसे अधिकारों का रिकॉर्ड भी कहते हैं जिसे विभाग द्वारा तैयार किया जाता है। यह दस्तावेज यह तय करता है कि किसी विशेष भूमि का मालिक कौन है और कितनी जमीन उसे व्यक्ति के पास है। हर 5 साल में राजस्व विभाग जमाबंदी रिकॉर्ड को अपडेट करता है ताकि जमीन के मालिकाना हक में कोई गड़बड़ी न हो। अब इस जमाबंदी के आधार पर ही भूमि की रजिस्ट्री की जाएगी। इस कदम सभी भूमि विवाद में कमी आने की उम्मीद है क्योंकि अब भू-माफिया जो एक ही जमीन को कई बार बेचकर लोगों को ठगते थे, उन्हें रोकने में मदद मिलेगी।
फ्लैट-अपार्टमेंट पर नहीं होगा लागू
हालांकि ये केवल जमीन की बिक्री पर लागू होगा , फ्लैट या अपार्टमेंट की रजिस्ट्री पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। पुराने फ्लैट्स या अपार्टमेंट की रजिस्ट्री को होल्डिंग नंबर के आधार पर किया जाएगा। इसलिए साफ हो गया है कि यह आदेश केवल वंशानुगत जमीनों के लिए ही लागू होगा। जहाँ जमीन की बिक्री की से पहले जमाबंदी का रिकॉर्ड जरूर होगा। इस निर्णय से उन परिवारों को कुछ राहत मिलेगी, जिनके पास वंशानुगत भूमि है, और जिनकी भूमि के रिकॉर्ड अपडेट नहीं हैं।