हिंदू धर्म में बहुत से देवी देवताओं की पूजा होती है। सभी देवी देवता का नाम विशेष महत्व है । वह उसी प्रकार लोग मनसा देवी का श्रद्धा भक्ति से पूजा अर्चना करते है। पंचकूला में स्थित माता मनसा देवी का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। हरिद्वार से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर शिवालिक पहाड़ियों की बिलवा पहाड़ में मनसा देवी का प्रसिद्ध मंदिर है यह अपने आप में ही है इतिहास समेटे प्राचीन मंदिर खास है।
आकाशीय पक्षी द्वारा ले जाते समय गलती से एक कुंभ से गिर गई थी
क्योंकि यह वही स्थान है जहाँ माता का मस्तिष्क गिरा था।मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से माता के दरबार में पहुंचता है माता उसकी मनोकामना जरुर पूरा करती है। हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर उन चार स्थानों में से एक है जहां अमृत की बूंदे गिरी थी। हरिद्वार के अलावा उज्जैन ,नासिक और प्रयाग वह स्थान है। जहां अमृत की बूंदे गिरी थी । पौराणिक कथा के अनुसार , अमरता का अमृत, आकाशीय पक्षी द्वारा ले जाते समय गलती से एक कुंभ से गिर गई थी।
सर्प पर विराजित होने के कारण इसे सर्पो देवी भी कहते हैं
मनसा देवी सर्प और कमल पर विराजमान होती है। सर्प पर विराजित होने के कारण इसे सर्पो देवी भी कहते हैं। मान्यता है कि 7 नाग माता की रक्षा में हमेशा विद्यमान होते हैं। लोक कथाओं के अनुसार सर्पदंश के इलाज के लिए भी लोग मानसा की उपासना करते हैं। माता की गोद में उनका पुत्र आस्तिक विराजमान है। बताया जाता है यह मनसा का नाम वासुकी भी है।
मंदिर परिसर में मौजूद स्नोही वृक्ष पर डोरी बांधने की परंपरा चली आ रही है
मनसा देवी के नाम का अर्थ है मन की इच्छा पूरा करने वाली। मनसा देवी के दर्शन करने वक्त बहुत से भक्त रोजाना आते रहते है। मंदिर परिसर में मौजूद स्नोही वृक्ष पर डोरी बांधने की परंपरा चली आ रही है। जो व्यक्ति इस मंदिर में आते हुए अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मंदिर परिसर में स्थित पेड़ की डाली में धागा बांधते है। एक बार जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है तो लोग पेड़ से खून धागा खोलने के लिए दोबारा इस मंदिर में आते हैं।