लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में शुक्रवार को 13 राज्यों की 88 सीटों पर वोटिंग हुई। वोटिंग ट्रेंड में कमी से कम मार्जिन वाली सीटों पर भी असर पड़ता है। 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो तकरीबन 75 ऐसी सीटें थीं, जहां बेहद कम मार्जिन से जीत और हार हुई थी। ऐसे में नतीजे किसी भी तरफ पलट सकते हैं। दूसरे चरण में भी पिछली बार के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत काफी कम रहा।
मंड्या लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा और मथुरा में सबसे कम मतदान
2019 के मुकाबले अगर वोटर टर्नआउट की बात करें तो इस बार दूसरे चरण में कर्नाटक की मंड्या लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा 81.3 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, वहीं उत्तर प्रदेश की मथुरा सीट पर सबसे कम 49.3 फीसदी वोटिंग हुई। 2019 के लोकसभा चुनाव में मंड्या में 80.59 और मथुरा में 61.8 प्रतिशत मतदान हुआ था।
दूसरे चरण में सबसे कम वोटिंग वाली 10 लोकसभा सीटों की बात करें तो उसमें मथुरा का प्रदर्शन सबसे खराब रहा 2024 के 49 प्रतिशत के मुकाबले 2019 में यहां लगभग 62 फीसदी वोट पड़े थे।
इन सीटों पर वोटिंग प्रतिशत में बढ़त
वहीं कुछ ऐसी भी सीटें हैं जहां 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2024 में वोटिंग टर्नआउट में बढ़त देखी गई है। इनमें से टॉप-5 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में चित्रदुर्ग, वर्धा, कंकेर, बेंगलुरु ग्रामीण और मंड्या सीट है।
भीषण गर्मी मतदान प्रतिशत में कमी की वजह
पूरे उत्तर भारत में इन दिनों गर्मी का कहर है, ये भी वोटिंग ट्रेंड में कमी की एक वजह हो सकती है। इन क्षेत्रों में इन दिनों हीटवेव चल रही है और मतदान के दिन तापमान ज्यादा था। कई बूथों पर छाया, टेंट या पानी के समुचित इंतजाम नहीं होने की वजह से मतदाता मतदान केंद्रों पर लाइन में लगने की बजाय घरों में आराम करने को तरजीह दी।