बहु का प्रॉपर्टी में हक न होने की बात क्लियर करते हुए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक अहम फैसला सुनाया गया है। उच्चतम न्यायालय की तरफ से एकऐसे विवाद पर निर्णय दिया गया है जो की लंबी समय से चला रहा है। यह सास ससुर और बेटे की बहू प्रॉपर्टी के अधिकार से जुड़ा हुआ है। इस फैसले के बाद ही सवाल उठ रहे है। बहू की प्रॉपर्टी में हक समाप्त हो गया क्या यह फैसला परिवार में रिश्तों की परिभाषा को बदलने वाला है इसके लिए जानते हैं पूरा मामला क्या है।
आप सभी को बता दे यह पूरा मामला एक परिवार के भीतर विवाद था। पत्नी और पति के अक्सर लड़ाई तो होती रहती है कभी-कभी लड़ाई इतनी बढ़ जाती है रिश्ते में तनावपूर्ण हो जाता है और तनाव होने से मामला कोर्ट में चला जाता है और ऐसा ही हुआ पति ने पत्नी के खिलाफ शिकायत किया था इसके बाद पत्नी ने भी कोर्ट में मामला को दर्ज करवाया। पति-पत्नी की लड़ाई में सास ससुर अपनी बेटी और बहू के झगड़े में बहुत परेशान होंगे। लड़ाई झगड़ा बहुत ज्यादा होने के बाद बेटा-पिता की प्रॉपर्टी होकर छोड़कर किराये के मकान में रहना चलेगा। लेकिन बहू ने अपने बुजुर्ग ससुराल वालों के खिलाफ खड़ी होकर घर छोड़ने से इनकार कर दिया।
सास ससुर ने भी इस स्थिति से निपटने के लिए कोर्ट में याचिका दायर कर दिया, ताकि बहू को घर से बाहर निकाला जा सके।
शादी के बाद देनी होगी बहु को यह व्यवस्था
मौजूदा समय में यदि महिला अपनी शादी के रिश्ते में है तो अपने दूसरे घर में रहने की व्यवस्था दिया जाना चाहिए। जैसा की घरेलू हिंसा के अधिनियम की धारा 19 (1) (एफ) के तहत किया गया है। इसका मतलब है कि अगर कोई महिला तलाक नहीं हुआ है उसे हिसाब से सिर्फ अपने घर से बाहर निकालते है उसे रहने के लिए एक स्थान दिया जाना चाहिए। जहां पर वह अपनी जिंदगी को सही तरीके से गुजार सके। यह जिम्मेदारी महिला की ससुराल वाले पर लागू होती है। कोर्ट की तरफ से निर्देश दिया गया है ऐसे मामले में बहू के अधिकारों की सुरक्षा की जानी चाहिए और उचित व्यवस्था और आवास मिलना चाहिए।
बहु को नहीं दे सकते हैं सास ससुर संपत्ति में हिस्सा
दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया जिसमें कहा गया कि परिवार के मालिक अपने घर की बहू को निकाल सकते हैं यह निर्णय एक पुराने मामले के बाद आया जिसमें सुप्रीम कोर्ट की तरफ से स्पष्ट किया गया था कि महिला घरेलू हिंसा का शिकार हो तो उसे अपने पति के पति के माता-पिता के घर रहने का अधिकार होगा । हालांकि उसे अपने पति के बनाए घर में अधिकार मिलेगा कोई भी पत्नी है सोचती कि उसके साथ-साथ ससुर की घर में उसका अधिकार है तो यह उनका भूल होगी। हाई कोर्ट के जज ने भी स्पष्ट किया है कि यह फैसला संयुक्त परिवार की स्थिति और संपत्ति के मामले की भूमिका को देखते हुए लिया गया।
बहू की संपत्ति में अधिकार, इस स्थिति में होता है
यह तो साफ है की बहू की ससुराल की संपत्ति में किसी भी प्रकार का कोई अधिकार या हिस्सा नहीं होता है। वह केवल अपने पति के द्वारा उसे हिस्से का हकदार होती है, जितना कि उसके पति के हिस्से में संपत्ति आया हो। अगर कोई भी ससुराल वाले किराए के मकान में रहकर अपना गुजारा कर रहे हैं, तो पत्नी के पास भी उसे किराए के घर में रहने का पूरा अधिकार है, लेकिन अगर संपत्ति स्व अर्जित है तो बहू को कुछ नहीं मिलेगा।