अस्थमा रोगियों के लिए हर साल होता है इस जगह ‘मछली प्रशादम ‘जिन्दा मछली के साथ ऐसे दी जाती है अस्थमा रोगी को दवा

Saroj Kanwar
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अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी बीमारी में कारगर साबित होने वाले बथिनी परिवार के लोकप्रिय ‘मछली प्रशादम ‘ का वितरण आज से शुरू किया गया है। नामपल्ली के प्रदर्शनी मैदान पर बथिनी गोड़ परिवार द्वारा आयोजित इस वार्षिक कार्यक्रम का उद्घाटन तेलंगाना के परिवहन मंत्री पोन्नम प्रभाकर और गद्दाम प्रसाद कुमार ने किया। तेलंगाना और अन्य राज्यों के विभिन्न भागों से बड़ी संख्या में मरीज मानसून के आगमन की पूर्व सूचना देने वालेमृगशिरा कार्ति’ के अवसर पर बथिनी परिवार के सदस्यों से’ मछली प्रशादम ‘ में लेने आते हैं ।

पिछले 178 साल से मछली की दवा मुफ्त में बांट रहे है

बथिनी ने गोड़ परिवार का दावा है कि पिछले 178 साल से मछली की दवा मुफ्त में बांट रहे है। हर्बल दवा का गुप्त फार्मूला 1845 में एक संत ने उनको परिवारों को उनके पूर्वजों को दिया था जिसमें उन्होंने शपथ ली थी कि यह दावा मुफ्त में दी जाएगी। परिवार द्वारा तैयार किया गए पीले रंग का’ हर्बल पेस्ट’ एक जीवित उंगली के आकार की मछली ‘मुरेल’ के मुंह में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर इसे लगातार 3 साल तक लिया जाए तो राहत देता है शाकाहारी लोगों के लिए परिवार उन्हें उनके साथ दवा देता है।

मछली प्रशादम लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है

पोन्नम प्रभाकर ने कहा , मछली प्रशादम लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है और हर साल भारत के विभिन्न स्थानों के अलावा बड़ी संख्या विदेश से भी लोगों से खाने आते हैं। उन्होंने कहा की बथिनी परिवार 150 से अधिक वर्षों से कार्यक्रम का आयोजन करता है। सरकार इसको लेकर सभी व्यवस्थाएं करती है ताकि लोगों को सुविधा न हो। कार्यक्रम की खेलताबाद की विधायक डी. नागेंद्र और ग्रेटर हैदराबाद के मेयर विजय लक्ष्मी गढ़वाल मौजूद थी। तेलुगू राज्य और देश के अन्य राज्यों की विभिन्न हिस्सों से अस्थमा रोगी सांसों की समस्या से राहत पाने की उम्मीद में हर साल जून में मछली प्रशादम लेने आते हैं।

अस्थमा रोगी हर साल मछली की दवा लेने के लिए हैदराबाद आते हैं

देश के विभिन्न भागों में अस्थमा रोगी हर साल मछली की दवा लेने के लिए हैदराबाद आते हैं। हालांकि हर्बल पेस्ट की सामग्री पर विवाद के कारण पिछले 15 वर्षों में दवा की लोकप्रियता काफी कम हो गई है। लोगों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए काम कर रहे कुछ समूह होने मछली की दवा को धोखाधड़ी बताया। उन्होंने इसको लेकर कोर्ट का रूख भी किया। विरोध जताने वाले ने दावा किया कि हर्बल पेस्ट में भारी धातुए जो गंभीर स्वास्थ्य समस्या पैदा कर सकती है । वही इस पर गोड़ परिवार का दावा है की अदालत के आदेश के अनुसार प्रयोगशालाओ में किए गए परीक्षण से पता चला है कि हर्बल पेस्ट सुरक्षित है। तर्कवादियों द्वारा किए चुनौती दिए जाने के बाद इसे ‘मछली प्रसादम’ कहना शुरू कर दिया।

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