पीरियड्स के दौरान चक्कर आना कई महिलाओं के लिए आम चिंता का विषय है। हालांकि कभी कभार चक्कर चिंताजनक नहीं हो सकता है। लेकिन लगातार या गंभीर चक्कर आना कई सारी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। इसका पूरा असर आवर हेल्थ पर पड़ सकता है।
हार्मोनल चेंजेज
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरो का लेवल पीरियड्स के दौरान उतार चढ़ाव करता है। पीरियड से पहले और उसके दौरान नाइट्रोजन का लेवल गिरता है इससे नसों और ब्लड शुगर के लेवल काफी ज्यादा प्रभावित कर सकता है जिससे चक्कर आ सकते हैं। पीरियड्स के दौरान चक्कर आना एस्ट्रोजन लेवल नेचुरल तरीके से गिरने लगता है। यह शरीर के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इसके कारण चक्कर की समस्या हो सकती है।
बीपी में गिरावट
पीरियड्स के दौरान हार्मोनल चेंजेज के कारण नसों के फैलने का कारण बन सकता है। जिसके कारण बीपी में गिरावट हो सकती है। बीपी अचानक से कम होने में दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन काम हो सकती है। इसके कारण चक्कर आने से लेकर सिर दर्द की शिकायत हो सकती है। पीरियड्स के दौरान हार्मोनल चेंजेज के बदलाव के कारण और वासोडिलेशन का कारण बन सकते हैं जिसके परिणाम स्वरुप रक्तचाप कम हो जाते है और बाद में चक्कर आते हैं।
खून की कमी होने पर आयरन की कमी होने लगती है
हैवी ब्लीडिंग के कारण शरीर में पानी की कमी हो सकती है शरीर में खून की कमी होने पर आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया का कारण बन सकता है। आयरन का लेवल कम होने पर ब्लड सेल्स के ऑक्सीजन की कमी होने लगती है जिससे चक्कर आना,थकान और कमजोरी होती है। भारी मासिक धर्म का अनुभव करने वाली महिलाओं को लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए क्योंकि सही मात्रा में ब्लड गिरने लगता है और शरीर में आयरन की कमी होने लगती है जिससे चक्कर आने की समस्या हो सकती है।