प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ बंटाईदार किसानों को भी मिलेग। इसके अलावा किसानों का समय पर बीमा क्लेम का पैसा दिया जाएगा। यदि क्लेम भुगतान में देरी होती है तो बीमा कंपनी की ओर से 12% अधिक राशि को भुगतान करनी होगी। यह जानकारी लोकसभा में प्रश्न कल के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से दी गयी । पीएम फसल योजना पर सांसदों के सवाल के जवाब देते हुए ,कृषि मंत्री ने कहा कि उन किसानों की सहायता के लिए योजना चलाई जा रही है इस योजना के माध्यम से अब तक सरकारी चार करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक रूप से आग लगने से फसल नष्ट होने पर नुकसान की भरपाई की जाएगी।
क्लेम भुगतान में देरी होने पर 12% अधिक राशि को दी जाएगी
क्लेम भुगतान में देरी होने पर 12% अधिक राशि को दी जाएगी। इसके अलावा बंटाईदार किसानों को भी योजना का लाभ मिलेगा। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में कृषि से जुड़े सवालों को देते हुए कहा कि पीएम फसल बीमा योजना के आवेदक पहले 3 पॉइंट 51 करोड़ थे अब इसमें काफी अच्छी बढ़ोतरी देखी गई है। आवेदन दुगुनी हो गए हैं इस योजना में आवेदन 8.69 करोड़ हो गए है। पीएम फसल बीमा योजना का लाभ 3.97 करोड़ किसानों को मिला है। पीएम फसल बीमा योजना के तहत खाद्य फसले जैसे -अनाज ,बाजरा और दाल, तिलहन फसले जैसे सरसों ,सोयाबीन ,मूंगफली आदि फसलों का बीमा किया जाता है। इसके अलावा योजना के तहत वार्षिक वाणिज्य की फैसले जैसे गन्ना ,कपास आदि वार्षिक बागवानी फैसले फल व सब्जियों का बीमा किया जाता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अनाज ,दालें और तिलहन सहित खाद्यान्न फसलों का बीमा करने पर रबी सीजन की फसलों के लिए डेढ़ प्रतिशत की दर से प्रीमियम का भुगतान होता है जबकि खरीफ सीजन की फसलों का बीमा के लिए 2% की दर से प्रीमियम देना पड़ता है। इसके अलावा बागवानी और वाणिज्य की फसलों की प्रीमियम की दर से थोड़ी अधिक होती है।पीएम फसल बीमा के तहत बागवानी और वाणिज्यिक फसलों का प्रीमियम 5 प्रतिशत की दर से लिया जाता है। किसान स्वैच्छा से अपनी फसलों का बीमा कराने के लिए स्वतंत्र हैं।
पीएम फसल बीमा योजना के तहत फसल हानि के लिए जिन जोखिमों को कवर किया जाता है। वे इस प्रकार है।
उप हानि (खड़ी फसलें, अधिसूचित क्षेत्र के आधार पर)
गैर – निवारणीय जोखिमों जैसे -प्राकृतिक आग , बिजली ,तूफान ,ओलावृष्टि , चक्रवात ,अंधी ,तूफान ,बवंडर आदि कारण से उपज हानि को कवर करने के लिए व्यापक जोखिम बीमा प्रदान किया जाता है।
बाढ़ ,जल प्लावन और भूस्खलन की स्थिति में भी लाभ दिया जाता है।
सूखा, सूखे की अवधि के लिए भी बीमा लाभ मिलता है।
कीट या रोग से फसल को हानि होने पर भी बीमा कवरेज मिलता है।
रोकी गई बुवाई -ऐसे मामले में जहां अधिसूचित क्षेत्र के अधिकांश बीमित किसान, बुवाई और रोपण करने का इरादा रखते हुए और इस उद्देश्य के लिए व्यय किए जाने के बाद प्रतिकूल मौसम स्थिति का कारण बीमित फसल की बुवाई और रोपण करने से रोक दिया जाता हैं।
कटाई के बाद नुकसान -उन फसलों के लिए कटाई से अधिकतम 14 दिनों की अवधि तक का कवरेज दिया जाता है जिन्हें कटाई के बाद खेत में सूखने के लिए कटाई और फैली हुई स्थिति में रखा जाता है।
पूरे देश में चक्रवात या चक्रवर्ती बारिश हो उसमें मौसम बारिश और विशिष्ट खतरों के लिए बीमा कवरेज मिलता है।
स्थानीय आपदाएं -पहचाने गए स्थानीय जोखिमों जैसे – ओलावृष्टि , भूस्खलन और जल प्लावन से होने वाली हानि या क्षति जो अधिसूचित क्षेत्र में अलग-अलग क्षेत्र को प्रभावित करती है।