किसानों को पराली की चिंता करने की जरूरत नहीं है। सरकार ने पराली की व्यवस्था करने की दवाई किसानों को बताएं चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं।
पराली की समस्या
किसानों को पराली को लेकर इस समय बहुत ज्यादा समस्या आ रही है। पहले भी किसान आसानी से खेतों के आसपास पराली इकट्ठा कर कर जला देते है लेकिन सरकार ने इस पर रोक लगा दी है की पराली जलाने से किसानो को ही नुकसान को ही नहीं पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। मिट्टी खराब हो रही है हवा प्रदूषण हो रहा है।अधिक संख्या में जब किसान पराली जला देते हैं तो उत्तर प्रदेश में बहुत ज्यादा वायु प्रदूषण हो रहा है। इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को गजब का समाधान दिया है चलिए आपको बताते हैं पराली से निपटने के लिए किसान क्या-क्या कर सकते हैं।
बेलर और मल्चर मशीन पर सब्सिडी
किसानों कोबेलर और मल्चर मशीन पर तगड़ी सब्सिडी दी जा रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में हाल ही में लखनऊ के लोक भवन में प्रणाली प्रबंधन के साथ वायु प्रदूषण नियंत्रण के संबंध में बैठक हुई। जिसमें पराली की समस्या का समाधान निकाला गया जिसमें कृषि विभाग को यह निर्देश दिए गए कि बेलर और कल्चर कलर मशीन का वितरण किया जाए। अनुदान पर किसानों को यह मशीन दी जाएगी ताकि किसान इसका इस्तेमाल करके पराली का प्रबंध नई तकनीक के साथ कर सकें।
पराली के बदले खाद
पराली से किसान खाद बना सकते हैं। लेकिन कई ऐसे किसान है जो जागरूक होने के बावजूद भी पराली से खाद नहीं बना पा रहे हैं। जिसमें सरकार अब किसानों को पराली के बदले खाद दे रही है। जी हां आपको बता दे कि किसानों से 290208.16 कुंटल पराली ले चुकी है और गो-आश्रय स्थल से किसानों को 155380.25 कुंटल गौवंश खाद दे चुकी है। इस तरह पराली लेकर किसानों को खाद दिया जा रहा है और पराली से सरकार खाद का निर्माण करेगी।
पराली का किसान कई तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अगर खेतों में पराली जलाई गई तो मिट्टी खराब होगी। जो किसानों के कृषि मित्र कीड़े हैं वह खत्म हो जाएंगे, मिट्टी उपजाऊ नहीं रहेगी।