Vastu Shastra Tips: शाकाहारी होने के बाद भी लोग इस वजह से व्रत में नहीं खाते लहसुन-प्याज, जानें डिटेल  

Saroj Kanwar
2 Min Read

Why Avoid Lahsun Pyaz In Vrat : भारत में किसी भी तरह का भोजन बनाने के लिए लोग लहसुन-प्याज का इस्तेमाल करते है. बहुत से लोग प्याज को कच्चा भी खाते है. प्याज की तासीर ठंडी होती है. वैसे तो लहसुन-प्याज हमारी सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है.

भोजन हमारे शरीर, मन और आत्मा के लिए बहुत जरूरी होता है. हिंदू धर्म में भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है – सात्विक, राजसिक और तामसिक.  सात्विक भोजन करने से शुद्धता, शांति और मन को नियंत्रित किया जा सकता है.

वहीं,  राजसिक भोजन मन में उत्तेजना और तृष्णा को बढ़ाते है. इसके अलावा, हिंदू धर्म के अनुसार तामसिक भोजन आलस्य, क्रोध और नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देते है. वहीं, इसे हिंदू धर्म में प्याज और लहसुन को तामसिक भोजन माना जाता है.

किसी भी पूजा-पाठ और व्रत में सभी लोग सात्विक भोजन करते है. ज्यादातर लोगों के मन में एक सवाल आता है कि किसी भी पूजा-पाठ और व्रत सात्विक भोजन क्यों खाया जाता है और लहसुन-प्याज क्यों नहीं खाते? अगर नहीं, तो चलिए आज हम आपको बताते है.

प्याज और लहसुन हमारे शरीर के लिए वैसे बहुत लाभदायक होता है, लेकिन कई जगहों पर इसे तामसिक और कहीं-कहीं राजसिक भोजन में गिना जाता है.

हिंदू धर्म में माना जाता है कि प्याज और लहसुन शरीर की ऊर्जा को नीचे की ओर खींचते हैं, मन में चंचलता और वासना बढ़ाते हैं. व्रत और पूजा-पाठ में भगवान की अराधना की जाती है और  स्वयं को ईश्वर के समीप ले जाते है.

भगवान का नाम लेने से मन शांत होता है. तामसिक भोजन से मन बार-बार भटक सकता है और उसका ध्यान सांसारिक इच्छाओं की ओर चला जाता है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन राहु और केतु के शरीर से गिरे रक्त की बूंदों से प्याज और लहसुन का जन्म हुआ. इसी कारण इन्हें तामसिक और अशुद्ध माना गया और धार्मिक अनुष्ठानों में वर्जित कर दिया गया. 
 

TAGGED:
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *