CIBIL Score :क्या आप भी लोन लेने के लिए CIBIL स्कोर पर डिपेंड ,यहां जाने पूरी जानकारी

Saroj Kanwar
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आमतौर पर लोगों को लगता है कि अगर उनका Credit Score सही हैं तो काफी आसानी से ही लोन को ले सकते है। लेकिन ऐसा बिलकुल भी ऐसा बिलकुल भी नहीं है। ऐसे में अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है तो बैंक आपको काफी आसानी से Bank आपको काफी कम समय में और काफी कम Byaz Dar पर Loan उपलब्ध करा देता है। लेकिन जब आप लोन लेने के लिए जाते है तो बैंक क्रेडिट स्कोर के आलावा और भी कई चीजे देखते है।

Personal Loan देते वक्त Bank रखता है इन बातों का ध्यान-

जब आप कभी आप पर्सनल लोन लेने के लिए जाते हैं तो आपको यही कहता होगा कि आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है ताकि आपको काफी आसानी से लोन मिल जाएगा। हालाँकि कि जब कोई बैंक किसी शख्स को पर्सनल लोन देता है तो बैंक द्वारा सिर्फ क्रेडिट स्कोर नहीं देखा जाता है बल्कि और भी कई चीजों को चेक करके बैंक आपको लोन उपलब्ध कराता है । इन सब से बैंक की सुनिश्चित करता है की बैंक के लोन के पैसों को समय पर भुगतान कर पाएंगे या फिर नहीं ।

इस बात भी दिया जाता है ध्यान

जब भी आप लोन लेने के लिए जाते हैं तो बैंक आपको लोन देने से पहले बैंक आपको डेट-टू-इनकम राशन की जांच करता है। यह Ratio मंथली डेट पेमेंट और आपकी ग्रुप सैलरी के हिसाब से कैलकुलेट किया जाता है जितनाकम आपका DTI Ratio होगा, आपको Loan को मिलने के चांस उतने ही ज्यादा होता है। इस ratio के जरिए बैंक ये समझता है की आपके ऊपर पहले से कितने लोन है और आपके हाथ में कितना पैसा बचता है।

मंथली इनकम के हिस्से पर भी किया जाता है गौर-

जब आप लोन लेने के लिए जाते हैं तो बैंक आपकी EMI/NMI Ratio को भी चेक करता है। इसके जरिए बैंक इस बात का कैलकुलेशन करता है आपकी नेट मंथली इनकम का कितना हिस्सा मौजूदा EMIऔर प्रस्तावित लोन की ईएमआई पर खर्च हो रहा है अगर आपकी EMI/NMI 50-55 तक तो ठीक है लेकिन अगर आप अपनी इनकम का इससे ज्यादा हिस्सा लोन का भुगतान करने में खर्च कर रहे हैं तो ऐसे में अधिक ऐसे में अधिक Ratio होने पर बैंक आपको लोन देने से कतराने लग जाता है।
हाउसिंग Loan के मामले में देखा जाता है ये रेश्यो-

इस Ratio का कैल्कुलेशन आमतौर पर हाउसिंग Loan के मामले में की जाती है। इस Ratio की मदद से ही रिस्क को समझा जाता है। LTV Ratio के माध्य दिखाता है कि आपके Loan की असेट या कोलेट्रल की तुलना में कितनी ज्यादा वैल्यू है। इसकी वजह से ही Loan को सिक्योर करने में मदद मिलती है। इस जानकारी का यूज कर्ज देने वाला Bank जरूरी नियम और शर्तें बनाने में करता है।अगर इसके बावजूद बैंक आपको लोन देते हैं तो अक्सर अधिक बाय ब्याज दर पर चार्ज करते हैं।

इस RATIO का कैलकुलेशन आमतौर यहां से लोन के मामले में की जाती है इस इस RATIO कैलकुलेशन आमतौर पर हाउसिंग लोन के मामले में की जाती है इस RATIO की मदद से रिस्क को समझा जाता है।

हाउसिंग Loan के मामले में देखा जाता है ये रेश्यो-

इस Ratio का कैल्कुलेशन आमतौर पर हाउसिंग Loan के मामले में की जाती है। इस Ratio की मदद से ही रिस्क को समझा जाता है। LTV Ratio के माध्य दिखाता है कि आपके Loan की असेट या कोलेट्रल की तुलना में कितनी ज्यादा वैल्यू है। इसकी वजह से ही Loan को सिक्योर करने में मदद मिलती है। इस जानकारी का यूज कर्ज देने वाला Bank जरूरी नियम और शर्तें बनाने में करता है।

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