महाराष्ट्र अपने मौजूद उद्योग और कृषि क्षेत्र के लिए जाना जाता है । राज्य में गणना ,कपास ,केला ,ज्वार , बाजरा ,अनार , संतरा ,सोयाबीन ,चावल, प्याज, फल सब्जियों सहित कई प्रकार की फसलों की खेती की जाती है इन कृषि सम्पदा के बावजूद महाराष्ट्र अप्रयाप्त सिंचाई सुविधाओं से जूझ रहा है। धुले , नंदुरबार ,जाट कवटे , महाकाल ,आटपाडी , सोलापुर ,मान ,खाटव ,धाराशिव ,लातूर , पश्चिमी विदर्भ जैसे क्षेत्र में लंबे समय से पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। इन क्षेत्र में पर्याप्त सिंचाई की कमी के कारण अक्स रपलायन और किसानो की आत्महत्या देखी जाती है। किसानो की आय और आजीविका में सुधार के लिए इन सूखाग्रस्त क्षेत्र में पर्याप्त सिंचाई के साधन का प्रदान करना जरूरी है। लेकिन नदियों के बहने की बावजूद महाराष्ट्र पानी की गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है।
नासिक और जलगांव के कई तालाब सूखे रहे
उदारहण के लिए गोदावरी नदी में नासिक से निकलती है ,लेकिन नासिक , जलगांव और धुले को प्रयाप्त पानी की आपूर्ति करने में विफल रहते हैं। इससे इन क्षेत्रों के किसानों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । इसके अलावा दमन ,गंगा और नार जैसी पश्चिम चैनल नदियों को प्रभावी ढंग से प्रभावित करने में महाराष्ट्र की ओर से पर्याप्त प्रयासों के कारण बड़ी मात्रा में पानी गुजरात में बह जाता है।
उत्तरी जल संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए पर -तापी -नर्मदा नदी 2019 में नदी जोड़ो परियोजना को 1980 में मंजरू दी गयी थी। हालाँकि उस समय सरकारी इच्छाशक्ति की कमी के कारण परियोजना रूक गयी। इससे गुजरात को महाराष्ट्र के जल संसाधनों से लाभ मिलता रहा है जबकि नासिक और जलगांव के कई तालाब सूखे रहे।
पूर्व मुख्यमंत्री देनासिक और जलगांव जिलों में 50000 हेक्टर भूमि की सिंचाई होगी
वेंद्र फडणवीस इस मूड से निपटने के लिए प्रतिबद्ध थे 2019 में उन्होंने नदी जोड़ो परियोजना का लाभ लेने से इंकार कर दिया था और कहा कि महाराष्ट्र से स्वतंत्र रूप से पूरा करेगा । हालांकि जब महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार आयी तो प्रक्रिया धीमी हो गई। 2022 में शिवसेना भाजपा गठबंधन सरकार ने न्र -पार करना नदी जोड़ने पहल के लिए 7015 करोड़ रुपए की मंजूरी देकर इस पर परियोजनाओं को पुनर्जीवित किया। इस परियोजना का लक्ष्य नर और बार नदियों की अतिरिक्त पानी की नहरों से रंगों के माध्यम से गिरना नदी में घाटी में प्रवाहित करना है। इससे नासिक और जलगांव जिलों में 50000 हेक्टर भूमि की सिंचाई होगी ।
कृषि परिदृश्य में महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव देख सकता है
पानी की कमी से जूझ रहे पश्चिम विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र के लिए अतिरिक्त सिंचाई परियोजनाएं प्रस्तावित है। फडणवीस ने सकारात्मक परिणाम के साथ जलयुक्त शिवर योजना शुरू की और पश्चिमी चैनल नदियों से पानी को मराठवाड़ा की ओर मोड़ने के लिए ‘मराठवाड़ा जलग्रिड परियोजना ‘ शुरू की है। सरकार ने पूर्वी विदर्भ नदियों से पश्चिम विदर्भ नदियों तक पानी लाने की उद्देश्य से नल गंगा ,वैन गंगा इंटर लिंकिंग परियोजना को भी मंजूरी दी है। अनुमानित 80 हजार करोड़ रुपए की इस पहल से विदर्भ के 6 जिलों को 3 पॉइंट 71 लाख हेक्टर भूमि को सिंचाई का लाभ मिलेगा। यदि यह परियोजनाएं सरकार के नियंत्रण प्रतिबद्ध के साथ समय पर पूरी हो जाती है तो महाराष्ट्र अपने कृषि परिदृश्य में महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव देख सकता है।