बिहार को वाराणसी ,कोलकाता एक्सप्रेसवे का निर्माण बिहार के गया ,औरंगाबाद रोहतास , कैमूर जिले के विकास में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण और मंजूरी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है । 2022 तक इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है इसकी बनने से वाराणसी से कोलकाता की दूरी तय करने का समय मौजूद 15 घंटे से घट कर सिर्फ 9 घंटे रह जाएगा। यह योजना सिर्फ तेज यात्रा ही नहीं बल्कि जिलों के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ेगी।
परियोजना की कुल लंबाई और लागत
वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेस वे की कुल लंबाई 610 किलोमीटर होगा और इसका निर्माण लगभग 35000 करोड रुपए की लागत से किया जाएगा। इस एक्सप्रेसवे का करीब 160 किलोमीटर बिहार के अंदर से गुजरेगी। यह उत्तर प्रदेश की चंदौली जिले की सीमा पर स्थित चांद से बिहार में प्रवेश करेगा और गया कि इमामगंज से समाप्त होगा । इस परियोजना में केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर काम कर रही है ताकि इसे जल्दी से जल्दी पूरा किया जा सके।
कैमूर की पहाड़ियों में बनेगी सुरंग
एक्सप्रेसवे का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा कैमूर पहाड़ियों में 5 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण है । यह सुरंग तकनीकी रूप से उन्नत होगी और इसी पर्यावरण को नुकसान पहुंचा बिना बनाया जाएगा। इसके अलावा सासाराम के तिलौथू में सोन नदी पर एक बड़ा पुल बनाया जाएगा । औरंगाबाद की जीटी रोड से जोड़ने के लिए भी एक विशेष निर्माण योजना बनाई गई है ।
पर्यावरण मंजूरी ने दी रफ्तार
पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा किए गए हालिया संशोधन के कारण ,इस परियोजना को वन मंजूरी की प्रक्रिया में तेजी मिली है। वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम 1980 में संशोधन से इस तरह की परियोजनाओं को अब जल्दी मंजूरी मिल रही है , यह बदलाव एक्सप्रेसवे के सुचारु क्रियान्वन में सहायक साबित हो रहा है।
व्यापार और उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा
इस एक्सप्रेस वे से गया ,औरंगाबाद ,रोहतास और कैमूर जैसे जिलों में व्यापार उद्योगों की नई ऊंचाई मिलेगी। स्थानीय किसानो और व्यापारियों के लिए वरदान साबित होगा क्योंकि वह अपने उत्पादों को भी आसानी से बड़ी बाजारों तक पहुंच सकेंगे ।इससे न केवल उनके मुनाफे में इजाफा होगा, बल्कि इन जिलों में औद्योगिक गतिविधियों को भी गति मिलेगी।
स्थानीय जीवनस्तर में सुधार
इस परियोजना से सिर्फ आर्थिक विकास ही नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव भी देखने को मिलेगा। एक्सप्रेसवे के आस-पास की जगहों पर बुनियादी ढांचे में सुधार होगा. सड़कों के निर्माण से यातायात में सुविधा होगी और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होंगी। इसके अलावा, इन क्षेत्रों में शिक्षा और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी विस्तार होगा।